अंजली राय,भोपाल। कारखानों में गैस रिसाव की जानकारी अब अधिकतम आठ सेकंड में मिल जाएगी। भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) ने नई तकनीक तैयार की है। जो फोटोन न्यूमिनेशन पर आधारित है। मैनिट के भौतिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. फौजिया खान के मुताबिक नई तकनीक में गैस के इलेक्ट्रान प्रकाश कणों के साथ क्रिया करते हैं। इससे किसी भी गैस का रिसाव होने पर तत्काल पता चल सकेगा। जिससे खासकर गैस संस्थानों में सुरक्षा तंत्र और मजबूत किया जा सकेगा।
प्रकाश कणों पर आधारित है नई तकनीक
पुरानी तकनीक केमो रेजिस्टेंस है जो कि कंडक्टिविटी और रेजिस्टेंस पर काम करती है। इसमें जब भी कोई गैस किसी सेंसिंग पदार्थ के संपर्क में आती है तो इलेक्ट्रान का लेन-देन होता है। गैस के इलेक्ट्रान देने पर सेंसिंग पदार्थ का रेजिस्टेंस घट जाता है और लेने पर बढ़ जाता है।
सेंसर इसी रेजिस्टेंस को माप कर रिजल्ट देता है। यह तकनीक गैसों के समूह में अलग-अलग गैस की उपस्थिति स्पष्ट नहीं करती है, सिर्फ यह बताती है कि क्षेत्र में हानिकारक गैस है। जबकि नई तकनीक में भी इलेक्ट्रान का लेन-देन तो होता है लेकिन ये इलेक्ट्रान पदार्थ में से फोटोन (प्रकाश के कण) निकालते हैं। इलेक्ट्रान के कम या ज्यादा होने पर निकलने वाले फोटोन की तीव्रता घटती या बढ़ती है। आप्टिकल गैस सेंसर से क्षेत्र में मौजूद प्रत्येक गैस की उपस्थिति अलग-अलग स्पष्ट होगी। प्रकाश कणों पर आधारित इस तकनीक से तत्काल परिणाम सामने आते हैं।
एलईडी बताती हैं स्थिति
इस सेंसर में एलईडी लगी है, जो गैस रिसाव का संकेत देती हैं। इस तकनीक का पेटेंट करवाया जा चुका है। डा. खान के अनुसार इस गैस सेंसर की कीमत करीब 800 रुपये होगी। उपकरण के ज्यादा निर्माण में लागत कम हो सकती है।
ट्रैफिक पुलिस के लिए भी मददगार
इलेक्ट्रान फोटोन सेंसर शराब पीकर वाहन चलाने वालों की जांच में भी बेहद कारगर साबित होगा। इसके उपयोग से अल्कोहल की उपस्थिति के साथ उसका स्तर पता लगाया जा सकेगा।
यहां हो सकता है उपयोग
प्रयोगशालाएं, उर्वरक करखाने, न्यूक्लियर पावर प्लांट, गैस संस्थान, घरों में एलपीजी के साथ ही कारखानों में गैसों के प्रदूषण को भी मापा जा सकेगा।
इनका कहना है
यह एक अच्छा प्रयास है। देश के कई संस्थानों को इस तकनीक से लाभ होगा। आगे भी इस तरह के परिणाम मूलक शोध कार्यों पर हमारा जोर होगा।
– डा. मनमोहन कापसे, डीन आरएनसी, मैनिट।