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फोन आया- तुम पोर्न वीडियो देखते हो, तुम्हें गिरफ्तार करेंगे

जबलपुर में एक युवक को साइबर ठगों ने घर में दो घंटे कैद रखा। उन्होंने कॉल कर कहा कि तुम पोर्न वीडियो देखते हो। तुम्हारे खिलाफ क्राइम ब्रांच में शिकायत हुई। पुलिस तुम्हें गिरफ्तार करने पहुंच रही है। ठगों ने केस की फाइल बंद करने के लिए ऑनलाइन पैसे मांगे। घबराए युवक ने करीब 15 हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए।

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मामला शुक्रवार का है। पीड़ित युवक पवन कुमार(23) सैलून कर्मी है। सैलून संचालक उसे लेकर डीआईजी के पास लेकर पहुंचे थे। उन्होंने साइबर पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए। जिसके बाद शनिवार को पीड़ित के बैंक खाते को होल्ड करा दिया गया है। जिस-जिस खातों में पैसे ट्रांसफर हुए है, पुलिस उन खातों की जानकारी के लिए बैंक अधिकारियों से संपर्क कर रही हैं।

ठगों ने कहा-भोपाल पुलिस से बोल रहा हूं…

शुक्रवार को पवन कुमार सैलून में बैठे हुए थे। तभी सुबह 11.10 बजे उनके मोबाइल पर कॉल आया। सामने से आवाज आई…

हैलो, मैं भोपाल पुलिस से बोल रहा हूं। तुमने एक पोर्न साइट पर वीडियो देखी है और किसी लड़की से बात की है। तुम्हारे खिलाफ क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज की गई है। कुछ ही देर में तुम्हारे पास पुलिस पहुंचने वाली है।

इतना सुनते ही पवन घबरा गए। उन्होंने कहा, “मैंने कोई वीडियो नहीं देखी और मुझे आपसे बात नहीं करनी है।” पवन के इतना कहते ही सामने से आवाज आई, “अगर फोन काटा तो परेशानी में पड़ जाओगे।” इसके बाद फर्जी पुलिस ऑफिसर ने पवन को दो घंटे तक सभी से दूर रहने को कहा और उन्हें डिजिटल रूप से घर में कैद कर लिया।

कहा- पैसे दो, फाइल बंद हो जाएगी फर्जी पुलिस ऑफिसर ने फोन पर बात करते हुए कहा, “अगर अपने अपराध की फाइल बंद करना चाहते हो तो रुपए का इंतजाम करो।” डर के मारे पवन ने एक घंटे के भीतर दो-दो हजार रुपए कर कुल 8,600 रुपए ट्रांसफर कर दिए।

इसके बाद एक बार फिर कॉल आने पर पवन से 5900 रुपए और ऐंठ लिए गए। फर्जी पुलिस ऑफिसर ने पवन को धमकी दी, “तुम्हारे पिता का मोबाइल नंबर भी हमारे पास है। पुलिस तुम्हें गिरफ्तार तो करेगी ही, साथ ही यह खबर तुम्हारे घर तक पहुंच जाएगी।”

वाट्सएप पर भेजा क्यूआर कोड जिस मोबाइल नंबर से पवन के पास कॉल आया था, थोड़ी देर बाद उसी नंबर से वाट्सएप मैसेज आया, जिसमें एक स्कैनर भेजा गया था। फर्जी पुलिस ऑफिसर ने पवन से पूछा, “तुम्हारे पास कितने पैसे हैं?” पवन ने जवाब दिया, “ज्यादा नहीं हैं।” इस पर सामने से आवाज आई, “ठीक है, 2,000 रुपए स्कैन कर भेज दो।” डर के मारे पवन ने तुरंत रुपए भेज दिए और स्क्रीनशॉट भेजकर कहा, “अब दोबारा ऐसा नहीं होगा।

इसके बावजूद फर्जी पुलिस ऑफिसर ने 11:49 से 12:34 के बीच फोन पर पवन को डराया और 8,600 रुपए वसूल लिए। पैसे ट्रांसफर होने के बाद फर्जी पुलिस ऑफिसर ने कहा, “अब तुम्हारी फाइल बंद हो गई है, लेकिन दोबारा ऐसी गलती मत करना।”

दोबारा दूसरे नंबर से आया कॉल, 24 हजार और मांगे शुक्रवार को 11:49 से 12:34 तक जिस नंबर से कॉल आ रहा था, वह नंबर अब बंद हो चुका था। पवन को लगा कि अब राहत मिल गई है। लेकिन 10 सेकंड बाद फिर कॉल आया, इस बार नंबर दूसरा था। सामने से वही आवाज आई, “तुम्हारी दूसरी फाइल तैयार हो गई है और अब यह बड़े साहब के पास है। मैं कुछ नहीं कर सकता। अब 24,000 रुपए और लगेंगे।” इतना सुनते ही पवन घबरा गए।

सैलून संचालक ले गए डीआईजी के पास

इस बीच सैलून मालिक राजेश ने पवन को परेशान देखा। जब सैलून मालिक ने पवन से पूछा कि वह काम क्यों नहीं कर रहे हैं, तो रोते हुए पवन ने सारी घटना बताई। सैलून संचालक को समझ आ गया कि यह साइबर ठगी का मामला है। उन्होंने तुरंत जबलपुर रेंज के डीआईजी तुषारकांत विद्यार्थी से संपर्क किया। सैलून संचालक पवन को लेकर डीआईजी के पास गए, जहां पवन ने पूरी घटना बताई।

डीआईजी के सामने फिर ठग का आया कॉल इस बीच फर्जी पुलिस ऑफिसर का पवन के मोबाइल पर फिर कॉल आया। इस बार सामने से दूसरी आवाज थी और कॉलर आईडी में “साइबर पुलिस” लिखा हुआ दिखा। डीआईजी के सामने पवन ने मोबाइल स्पीकर पर रखा, तो कॉल करने वाला गाली-गलौज करने लगा। डीआईजी ने खुद ठग से बात करते हुए कहा, “तुम पुलिस अधिकारी से बात कर रहे हो और पुलिस की निगरानी में हो।” इतना सुनते ही फर्जी पुलिस ऑफिसर ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।

उत्तर प्रदेश के कानपुर से आया था कॉल साइबर सेल प्रभारी नीरज नेगी ने पवन के पास आए कॉल की जांच की, जिससे पता चला कि कॉल उत्तर प्रदेश के कानपुर से किया गया था। जांच में यह भी पता चला कि ठगी में इस्तेमाल की गई सिम फर्जी थी। पुलिस ने पाया कि पवन के खाते से 14,000 रुपए एयरटेल मनी बैंक में ट्रांसफर हुए, फिर 9,500 रुपए एक्सिस बैंक, हैदराबाद में और 5,000 रुपए बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में भेजे गए। अब साइबर पुलिस इन बैंकों के अधिकारियों से संपर्क कर रही है।

इस तरह फंसाते हैं साइबर ठग

साइबर सेल प्रभारी नीरज नेगी ने बताया कि ठग मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकी फंडिंग का आरोप लगाकर डराने की कोशिश करते हैं। ये ठग अक्सर सुबह 6 से 7 बजे के बीच कॉल करते हैं, जब व्यक्ति नींद में होता है। आरोपी पहले फोन में धमकी नहीं देते, सिर्फ भूमिका तैयार करते है। जब धीरे-धीरे बात आगे बढ़ती है, तो डराना शुरू कर देते है।

पहला कॉल वीडियो वाला होता है, जिसमें सामने वाला व्यक्ति पुलिस वर्दी में दिखता है, जिससे पीड़ित को भरोसा हो जाता है। इसके बाद ठग लगातार दबाव बनाते हैं और डर के मारे पीड़ित उनके बताए अनुसार काम करने लगता है।

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