इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने के बाद दो नवजातों की मौत के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सरकार ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश की। इसमें दोनों नवजातों की मौत चूहों के काटने से नहीं होने का जिक्र है।
रिपोर्ट में धार के दंपती की नवजात की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का भी जिक्र है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पता चला कि उसके कुछ ऑर्गन्स पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे। इसके साथ ही दूसरी बीमारियां भी थी। मौत का कारण रेट बाइट नहीं है।
रिपोर्ट में बताया गया कि पहली घटना 30 अगस्त की सुबह 4 बजे हुई थी, जबकि दूसरी घटना 31 अगस्त की रात 10.30 बजे हुई थी। इसमें यह देखा गया कि पहली घटना में क्या-क्या स्टेप्स लिए गए और क्या-क्या नहीं लिए गए।
इसमें जिन्होंने घटना को लेकर रिपोर्ट नहीं की, उनकी भी गलती है और जिनकी उपस्थिति में गलती हुई हैं, उन्हें भी जिम्मेदार बताया। वहीं पेस्ट कंट्रोल एजाइल कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने संबंधी नोटिस दिए जाने का भी जिक्र है।

हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर मांगी थी रिपोर्ट बता दें कि जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस पिल्लई की बेंच ने नवजातों के मौलिक अधिकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट ने 15 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर सरकार को नोटिस जारी किया था।
कोर्ट मामले में 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि सफाई और पेस्ट कंट्रोल करने वाली निजी कंपनी एजाइल सिक्योरिटी के खिलाफ ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई, जबकि उसकी लापरवाही से यह दर्दनाक हादसा हुआ।
सरकार ने कहा-ऐसी घटनाएं रोकने उठाएंगे कदम सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि रेट बाइट की घटना को काफी गंभीरता से लिया गया है। भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए नवजातों से संबंधित PICU, NICU यूनिट्स को सरकारी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में तुरंत अच्छे सेटअप के साथ शिफ्ट किया जाएगा।
वहां भी इस तरह की घटनाओं लेकर विशेष सतर्कता रखी जाएगी। इसके साथ ही PICU, NICU यूनिट्स को सरकारी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में शिफ्ट करने के दौरान तक इन दोनों यूनिट्स में फ्यूमीगेशन और पेस्ट कंट्रोल कराया जाएगा।

कोर्ट चाहे तो अलग से अथॉरिटी गठित करें सुनवाई के दौरान यह भी माना गया कि ऐसे उपाय होने चाहिए, जिनसे शासन द्वारा जारी पैरामीटर्स और गाइडलाइन का पूरा पालन हो। इसके लिए यदि कोर्ट को अलग से कोई अथॉरिटी गठित करनी पड़े, तो वह भी की जा सकती है।
सभी जिम्मेदारों द्वारा इसका पालन करना अनिवार्य होना चाहिए। यह बात अति गंभीर मानी गई कि यह एक अप्रिय घटना है और दोबारा नहीं होनी चाहिए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि इसके लिए वर्तमान गाइडलाइन क्या हैं और आगे नया क्या होना चाहिए।
मामले में कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था
इस मामले में कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था और शासन से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा था। हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में कई बिंदुओं पर सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट की टीम पहले ही अस्पताल के NICU और PICU का दौरा कर चुकी है। इस केस में 15 दिन बाद भी कठोर कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया था और 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।