जबलपुर में एक युवक बंदरों को भगाने के चक्कर में जिंदा जल गया। रविवार रात जैसे ही उसने बंदरों को भगाने के लिए लोहे की रॉड ऊपर उठाई, वह हाईटेंशन बिजली की लाइन से टकरा गई। जोरदार धमाका हुआ और युवक जलने लगा। कुछ देर बाद उसकी मौत हाे गई।

हादसा गोकलपुर की तीन मंजिला इमारत में हुआ। यहां शिव प्रसाद पटेल का लोअर बनाने का कारखाना चलता है। कजरवारा निवासी संजय यादव यहां काम करता था। वह रात में किसी काम से छत पर गया था। बिल्डिंग की छत के नजदीक ही हाईटेंशन लाइन गुजर रही है, तभी उसे वहां बंदर दिखाई दिए।

संजय ने बंदरों को भगाने के लिए लोहे की रॉड उठाई, जो ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन से टकरा गई। इससे संजय करंट की चपेट में आ गया। कुछ ही सेकंड में उसका शरीर जलने लगा। धमाका सुनकर आसपास के लोग घबरा गए।
पुलिस टीम ने बंद कराई बिजली सप्लाई घटना की सूचना मिलते ही रांझी सीएसपी सतीश साहू और थाना स्टाफ मौके पर पहुंचा। तुरंत बिजली विभाग को जानकारी दी गई। लाइन बंद होने के बाद संजय को नीचे लाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। बिजली विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और हाईटेंशन लाइन की स्थिति का निरीक्षण किया।
सीएसपी सतीश साहू ने बताया कि मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी गई है। मृतक के परिजनों को देर रात सूचना दे दी गई है। आज मेडिकल कॉलेज में संजय का पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा।
लोअर बनाने का कारखाना चल रहा था जिस बिल्डिंग में हादसा हुआ, उसके टॉप फ्लोर पर लोअर बनाने का कारखाना पिछले कुछ सालों से चल रहा था। बताया जा रहा है कि तीन–चार साल पहले ही इस बिल्डिंग की तीसरी मंजिल बनाई गई थी। यह बिल्डिंग अशोक यादव नामक व्यक्ति की है, जिसने नीचे की मंजिल पर एक डेंटल क्लिनिक किराए पर दिया था।
हाईटेंशन लाइन के पास बिल्डिंग बनी कैसे? रविवार देर रात हुए हादसे के बाद सोमवार को बिजली विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। बिजली विभाग की सदस्य ए. श्रद्धा सोनी ने बताया कि जिस लाइन से झुलसने के कारण संजय की मौत हुई, वह लगभग 30 से 35 साल पुरानी है। यह लाइन कोड डिपो तक जाती है। यह जांच का विषय है कि आखिर हाई टेंशन लाइन के इतने करीब यह बिल्डिंग कैसे बनाई गई।




