कोरोना के नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन, भोपाल की हवा में कौन सा वैरिएंट है, जो लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है। इसके लिए AIIMS भोपाल में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल का पहला बैच लगाया गया है। जिसकी रिपोर्ट सोमवार तक आने की संभावना है।
इधर, प्रदेश में शुक्रवार को कोरोना के 27 नए मामले सामने आए हैं। यह इस साल एक दिन में मिले सबसे ज्यादा केस हैं। अब राज्य में कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या अब 169 हो गई है, जिसमें से 120 सक्रिय (एक्टिव) मामले हैं। 46 लोग ठीक हो चुके हैं, लेकिन इस साल अब तक 3 मौतें भी दर्ज की गई हैं। इसके अलावा प्रदेश की राजधानी में कोरोना के 8 एक्टिव केस हैं। जिसमें से दो नए केस शुक्रवार को सामने आए।
आरटीपीसीआर की कमी सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि जब प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, तब भी सरकारी स्तर पर कोरोना की सैंपलिंग बंद है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि बिना जांच के आखिर संक्रमण की सही तस्वीर कैसे सामने आएगी? हालांकि, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग केंद्र ने सरकारी अस्पतालों में जल्द आरटीपीसीआर जांच (जो कोरोना की सबसे सटीक जांच मानी जाती है) शुरू करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन यह कब तक शुरू होगी, यह अभी साफ नहीं हो सका है।
क्या अस्पताल हैं तैयार जब तक जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक यह कहना मुश्किल है कि यह किस वैरिएंट का हमला है। क्या यह कोई नया और अधिक खतरनाक स्ट्रेन है या फिर पुराना वैरिएंट है। इस बीच हाल ही में सरकारी अस्पतालों में मॉकड्रिल हुई। जिसमें कई अस्पतालों के ऑक्सीजन प्लांट खराब मिले। इस अनिश्चितता के माहौल में, यह लापरवाही चिंताजनक है।
भोपाल के CMHO डॉ. मनीष शर्मा ने बताया
लोगों को सलाह दी जा रही है कि यदि उनमें लक्षण हैं तो वे सतर्क रहें, मास्क पहनें और सामाजिक दूरी का पालन करें। ऑक्सीजन प्लांट के मेंटेनेंस के लिए बजट मिल गया है। एजेंसी को भी जल्द रिपेयरिंग करने के आदेश दिए हैं।