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भोपाल सेंट्रल जेल के 12 आवासों पर अफसरों का कब्जा

भोपाल सेंट्रल जेल परिसर के 12 आवासों पर अधिकारी-कर्मचारियों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। कब्जा करने वालों में दो पूर्व अधीक्षक सहित 10 कर्मचारी शामिल हैं। इनमें वे भी हैं जो रिटायर्ड हो गए हैं। एक अधिकारी की मृत्यु हुए 2 साल हो चुके हैं, इसके बावजूद परिजनों ने आवास खाली नहीं किया है।

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जबकि अधिकारी कर्मचारियों को वर्तमान पद स्थापना वाले जिलों में भी आवास मिले हुए हैं। नियम अनुसार ट्रांसफर के 6 महीने के अंदर अनिवार्य रूप से बंगला खाली करना होता है।

पोस्टिंग जबलपुर में बंगला भोपाल में

जेल सुपरिनटेंडेंट अखिलेश तोमर का 2019 में सेंट्रल जेल जबलपुर ट्रांसफर हो चुका है। इसके बाद भी उन्होंने भोपाल सेंट्रल जेल में बने बंगला नंबर ई- 02/02 में कब्जा जमा रखा है। जबकि उन्हें जबलपुर में बंगला मिला हुआ है। इसी तरह, जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे सेंट्रल जेल सागर में पदस्थ हैं। उनका ट्रांसफर अक्टूबर 2022 में हुआ था। सागर में बंगला होने के बावजूद वे भोपाल सेंट्रल जेल में बंगला नंबर ई- 01/022 में 2 साल से जमे हुए हैं।

निजी निवास में रहने को मजबूर मेडिकल ऑफिसर

हालात यह है कि जेल के चीफ मेडिकल ऑफिसर मनीष बिरथरे निजी निवास में रहने को मजबूर हैं। जबकि नियमानुसार जेल के चार ई-टाइप बंगले में से एक मेडिकल ऑफिसर के लिए रिजर्व होता है। भोपाल सेंट्रल जेल में इन दिनों 3500 कैदी बंद हैं। इनके उपचार का जिम्मा केवल डॉ. मनीष बिरथरे पर है। ऐसे में इमरजेंसी की हालत में उन्हें जेल तक पहुंचने में आधा घंटे से अधिक का समय लग जाता है।

जेल अधीक्षक बोले- कार्रवाई चल रही है

भोपाल सेंट्रल जेल के अधीक्षक राकेश भांगरे का कहना है कि ट्रांसफर के बाद भी जेल क्वार्टर और बंगलों में रह रहे अधिकारियों कर्मचारियों को समय-समय पर बंगला खाली करने नोटिस जारी किया जाता है। मुख्यालय स्तर पर भी कार्रवाई के लिए पत्राचार चल रहा है।

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