हमीदिया अस्पताल में स्किन बैंक का उद्घाटन शुक्रवार को कमला नेहरू अस्पताल के पहले फ्लोर पर किया गया। 15 लाख की लागत से तैयार हुए इस स्किन बैंक में जिंदा एवं मृत दोनों तरह के व्यक्ति स्किन डोनेट कर सकते हैं। यह स्किन बैंक प्रदेश का दूसरा और भोपाल का पहला बैंक है, इससे पहले यह सुविधा जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद बोस मेडिकल अस्पताल में थी। इस दौरान हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक सुनीत टंडन, जीएमसी की डीन डॉक्टर कविता कुमार, प्रोफेसर एचओडी डॉक्टर अरुण भटनागर, डेसिगेटेड प्रोफेसर डॉक्टर आनंद गौतम, सहायक प्राध्यापक डॉक्टर हरि शंकर सिंह आदि मौजूद रहे।
दरअसल, हादसों में झुलसे लोगों के इलाज के लिए स्किन की जरूरत होती है। अभी तक स्किन बैंक नहीं होने के कारण स्किन डोनेशन की व्यवस्था हमीदिया अस्पताल में नहीं थी। करीब 9 महीने पहले बर्न एंड प्लास्टिक डिपार्टमेंट की ओर से इसके लिए प्रपोजल तैयार किया गया है। इसका प्रस्ताव कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन को भेजकर बजट मांगा था। बजट मिलने पर स्किन बैंक के लिए जरूरी उपकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाकर स्किन बैंक शुरू करने के लिए कार्रवाई शुरू हुई। हालांकि इस बैंक की एक साल से कवायद चल रही थी। पिछली बार भी एथिकल कमेटी तक मामला पहुंचा था, लेकिन व्यवस्थाएं पूरी नहीं होने से अनुमति नहीं मिली थी।
लाइव डोनेशन में डोनर की चौबीस घंटे में हो जाती है छुट्टी
डेसिगेटेड प्रोफेसर डॉक्टर आनंद गौतम ने बताया कि 30 प्रतिशत या 50 से 60 प्रतिशत से अधिक के जो बर्न के मरीज होते हैं। उनकी खुद की चमड़ी पूरी चल जाती है, इसलिए स्किन बैंक की जरूरत पड़ती है, इसलिए यह स्किन बैंक खोला है, जिस तरह से ऑर्गन डोनेशन होता है ब्लड डोनेट कर सकते हैं या किडनी डोनेट कर कर सकते हैं। उसी तरह स्किन भी डोनेट की जा सकती है। इस तरह के मरीजों में इस चमड़ी को इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर कोई प्राइवेट अस्पताल का मरीज है तो वह प्रोटोकॉल के अनुसार वह यहां से स्किन ले सकते हैं। इसकी स्टोरेज कैपेसिटी को नार्मल फ्रिज में 21 दिन तक रख सकते हैं, जो हमारे पास डीप फ्रीजर है यहां पर इसे 6 महीने से एक साल तक रख सकते हैं। इसमें लाइव डोनर 24 घंटे बाद छुट्टी भी हो जाती है। वहीं 15 दिन में डोनर की स्किन भी हील हो जाती है।