इंदौर सहित मध्यप्रदेश के महाविद्यालयों में प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनाव कराने की मांग को लेकर मंगलवार को इंदौर शहर कांग्रेस ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का घेराव किया। छात्र नेताओं ने रजिस्ट्रार प्रज्वल खरे को राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर छात्रसंघ चुनाव कराने और महाविद्यालय एवं छात्रावास में छात्र-छात्राओं की समस्याओं के निराकरण की मांग की।
इस प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस पर बीजेपी हमलावर हो गई। बीजेपी का कहना है कि जो खुद की शहर कमेटी का गठन नहीं करवा पा रहे हैं वह छात्र संघ चुनाव की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन करने पहुंचे छात्र नेता राकेश यादव ने कहा कि जब प्रत्यक्ष प्रणाली से लोकसभा-विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं, तो विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के क्यों नहीं करा सकते। विवि-महाविद्यालय में छात्र संघ प्रतिनिधि नहीं होने से छात्र – छात्राओं की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है।
यादव ने बताया कि छात्र-छात्राएं प्रवेश सहित अन्य समस्याओं के समाधान के लिए भटक रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा छात्रावास प्रभारी प्रताड़ित कर रहे हैं। निजी और सरकारी कॉलेज व विश्वविद्यालय में प्रवेश के दौरान मौजूदा स्टॉफ मनमानी करता है। दलाल सक्रिय रहते हैं, जो विद्यार्थियों से पैसे लेकर प्रवेश दिलाते हैं। इन पर सख्त कार्यवाही की जाए। कई प्राइवेट महाविद्यालय एक-दो कमरे में चल रहे हैं।

40 हजार खाली सीटें भरी जाएं कांग्रेस ने यह मुद्दा भी उठाया कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में Ded और Bed की 40 हजार से अधिक सीटें खाली हैं और विद्यार्थियों को फार्म भरवाकर गुमराह किया जा रहा है। इसका फायदा प्राइवेट कॉलेज एवं दलाल उठा रहे हैं। इसमें भी उचित कार्रवाई की जाए। वहीं महाविद्यालय में रैगिंग की निगरानी के लिए कमेटी का गठन किया जाए।
बीजेपी बोली-पहले खुद का संगठन तो बना लें
प्रदर्शन को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस के संगठन पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। बीजेपी सह मीडिया प्रभारी नितिन द्विवेदी ने कहा कि जो कांग्रेस छात्र संघ चुनाव कराने की मांग कर रही है, वह पहले खुद के संगठन के चुनाव तो कर ले। इंदौर कांग्रेस अध्यक्ष दो साल में अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए।
राकेश यादव को सबसे पहले अपने संगठन से यह मांग करना चाहिए कि इंदौर शहर कांग्रेस कमेटी का गठन करें। इंदौर में कांग्रेस अलग-अलग धड़ों में बटी है। विश्वविद्यालय में किए गए आज के प्रदर्शन में 10 नेता भी नहीं पहुंचे। यहां तक कि छात्र संघ चुनाव की मांग करने वाले कांग्रेसियों के साथ उन्हीं की पार्टी के एनएसयूआई के नेता नहीं थे।