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दुर्गा उत्सव आज से

मां भवानी की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्रि शुरू हो गया है। देवी पूजा का ये पर्व 11 अक्टूबर तक चलेगा। 11 तारीख को तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दुर्गा अष्टमी और दुर्गा नवमी एक ही दिन मनाई जाएगी। नवरात्रि में किए गए व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इसी बीच बुधवार से शहर में इसकी रौनक दिखाई देने लगी। वहीं 10 नंबर स्थित दुर्गौत्सव समिति द्वारा विशाल मूर्ति स्थापित की गई है। यहां देर रात तक आतिशबाजी भी की गई। समिति के अध्यक्ष राहुल मालवीय ने बताया कि विगत 18 वर्षो से यहां मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया जा रहा है। इस बार डिज्नी लैंड की थीम पर पंडाल बनाया गया है, जो भोपाल में पहली बार है। बता दें कि शहर भर में 1500 से अधिक छोटे बड़े पंडाल बनाए गए हैं।

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इन मंदिरों में सुबह से लगेगा भक्तों का तांता इस दौरान शहर के सोमवारा स्थित मां भवानी मंदिर, टीटी नगर स्थित माता मंदिर, सलकनपुर स्थित मां बिजासेन मंदिर, तलैया स्थित काली मंदिर, करूणा धाम स्थित महालक्ष्मी मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में भक्तों का सुबह-शाम तांता लगेगा।

ऋतुओं के संधिकाल में आती है नवरात्रि

  • एक साल में कुल चार बार नवरात्रि आती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़ में, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रियां सामान्य होती हैं। इन नवरात्रियों में देवी की सरल तरीकों से पूजा की जाती है।
  • आषाढ़ और माघ मास में गुप्त नवरात्रि कही जाती है। इन महीनों में देवी की दस महाविद्याओं के लिए गुप्त साधानाएं की जाती हैं। ये तंत्र-मंत्र से जुड़े लोगों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है।
  • साल में चार बार नवरात्रि आती है और चारों बार दो ऋतुओं के संधिकाल में देवी पूजा का ये पर्व मनाया जाता है। ऋतुओं का संधिकाल यानी एक ऋतु के जाने का और दूसरी ऋतु के आने का समय।
  • चैत्र मास में शीत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। आषाढ़ में ग्रीष्म ऋतु जाती है और वर्षा ऋतु आती है।
  • आश्विन मास में वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत आती है। माघ मास में शीत ऋतु जाती है और बसंत ऋतु आती है।
  • ऋतुओं के संधिकाल में किए गए व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही अच्छी सेहत भी मिलती है। इसी वजह से नवरात्रि के व्रत-उपवास से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।
  • आयुर्वेद में रोगों को ठीक करने विधियों में एक विधि है लंघन। लंघन विधि के अंतर्गत रोगी को व्रत करने की सलाह दी जाती है। व्रत करने से पाचन तंत्र का आराम मिलता है और हमारा शरीर ऊर्जा के लिए शरीर में ही मौजूद ऐसे खाने का उपयोग करता है जो पच नहीं पाता है। जब पाचन ठीक होता है तो कई रोगों दूर हो जाते हैं।

कलश स्थापना के लिए दिनभर में दो मुहूर्त रहेंगे, नौ दिनों की आसान पूजन विधि इस बार अंग्रेजी तारीखों और तिथियों का तालमेल गड़बड़ होने से अष्टमी और महानवमी की पूजा 11 तारीख को होगी। 12 अक्टूबर, शनिवार को दशहरा मनेगा। जिससे देवी पूजा के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे।नवरात्रि के पहले दिन घट (कलश) स्थापना की जाती है। इसे माता की चौकी बैठाना भी कहा जाता है। इसके लिए दिनभर में दो ही मुहूर्त रहेंगे।

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