Gujrat हाई कोर्ट का आदेश, फायर सेफ्टी के बगैर नहीं खुलेंगे स्कूल, अस्पतालों में सिर्फ OPD की अनुमति
अहमदाबाद। कोरोना संक्रमण घटने के साथ ही राज्य सरकार ने प्री प्राइमरी स्कूल भी खोलने फैसला कर लिया लेकिन फायर सेफ्टी बगैर संचालित स्कूल व अस्पतालों पर अदालत ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य में 71 स्कूल तथा 229 अस्पतालों के पास फायर सेफ्टी उपकरण व एनओसी नहीं है। उन्होंने अदालत को विशवास दिलाया कि ऐसे स्कूल के पास सरकार फायर फाइटर्स को खड़ा रखेगी ताकि किसी तरह की अनहोनी ना हो। हाईकोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि फायर सेफ्टी एनओसी बिना संचालित स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं शुरु नहीं करें तथा ऐसे अस्पताल केवल ओपीडी ही संचालित कर सकेंगे। इन अस्पतालों में मरीज की भर्ती व ऑपरेशन नहीं होंगे। अदालत ने सरकार से कहा कि बच्चों की जिंदगी कीमती है, यदि कोई हादसा हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
क्या हैं फायर सेफ्टी के नियम?
- अस्पताल/स्कूल में हाइड्रेंट होना चाहिए ताकि आग लगने पर सीधे आग बुझाने के प्रबंध हो सकें।
- हर फ्लोर पर होज रील भी हाईड्रेंट के साथ होनी चाहिए ताकि इससे आग लगने वाले स्थान तक पानी की बौछार छोड़ी जा सके।
- हर फ्लोर पर तय मानक अनुसार अग्निशमन यंत्र चालू स्थिति में होने चाहिए।
- अस्पतालों में आईसीयू के साथ ही कॉरिडोर व कमरों में स्मोक डिटेक्टर होने चाहिए ताकि धुंआ होने पर संबंधित स्टाफ को तत्काल सूचना मिल सके।
- हर फ्लोर पर कॉल पाइंट होना चाहिए, जहां पर धुआं उठने या आग लगने की स्थित में ट्रेंड स्टाफ तक जानकारी पहुंच सके।
- बेसमेंट या लॉबी में स्प्रिंकलर सिस्टम होना चाहिए, ताकि आग लगने पर अपने आप पानी की फव्वारा शुरू हो सके।
- भवन के साइज के मान से पानी की टंकी होनी चाहिए, जो हमेशा फुल रहनी चाहिए।
- फायर सेफ्टी के उपकरण चलाने में दक्ष स्टाफ व फायर ऑफिसर होना चाहिए।