होली का पर्व न सिर्फ रंगों का उत्सव है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। होलिका दहन 2025 को लेकर श्रद्धालुओं में खास उत्साह बना हुआ है। इस साल 13 मार्च 2025 (गुरुवार) को फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर रात्रि 10:30 बजे के बाद होलिका दहन किया जाएगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और भद्राकाल
हिंदू पंचांग के अनुसार, भद्राकाल में होलिका दहन वर्जित होता है। इस वर्ष भद्राकाल 13 मार्च की रात 10:29 बजे तक रहेगा। इसलिए, होलिका दहन का सबसे शुभ समय 10:30 बजे के बाद शुरू होगा।
होलिका दहन और पूजन के महत्वपूर्ण समय:
• पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 13 मार्च, गुरुवार रात 8:29 बजे
• पूर्णिमा तिथि समाप्त – 14 मार्च, शुक्रवार दोपहर 12:25 बजे
• भद्राकाल समाप्त – 13 मार्च, गुरुवार रात 10:29 बजे
• होलिका दहन का शुभ समय – रात 10:30 बजे से पूरी रात तक
होलिका पूजन के लिए शुभ समय
होलिका दहन से पहले होलिका पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष होलिका पूजन के लिए सबसे उचित समय 13 मार्च 2025 को पूर्णिमा लगने के बाद होगा।
होलिका पूजन के लिए उत्तम मुहूर्त:
• सुबह 10:58 से दोपहर 1:30 बजे तक
• दोपहर 3:27 से शाम 6:25 बजे तक
होलिका पूजन विधि (Holika Pujan Vidhi)
होलिका दहन से पहले विधि-विधान से पूजन करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पूजन विधि:
1. होलिका दहन स्थल को शुद्ध करें और वहाँ गोबर से बनाए गए उपले, फूलमाला, जल, अक्षत, हल्दी, रोली, नारियल, गेंहू, कुमकुम आदि रखें।
2. गुजिया, नारियल और मिठाइयों का भोग अर्पित करें।
3. होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें और कच्चे सूत का धागा लपेटें।
4. पूजा के दौरान ॐ होलिकायै नमः मंत्र का जाप करें।
5. सुख-समृद्धि की कामना करते हुए होलिका दहन करें।
राहुकाल और ग्रहण की स्थिति
• राहुकाल (अशुभ समय) – 13 मार्च, दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक
• चंद्रग्रहण का योग – 13 और 14 मार्च की रात आंशिक चंद्रग्रहण का संयोग बन रहा है, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा।
होलिका दहन का धार्मिक महत्व
होलिका दहन का पर्व भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। इस दिन नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।
होलिका दहन 2025 के लिए शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 10:30 बजे से शुरू होगा। भद्राकाल समाप्त होने के बाद ही दहन करें और शुभ समय में होलिका पूजन करके धन, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करें।