जमुई का ‘फर्जी आईपीएस’ निकला शातिर ठग: रेलवे में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों से 2 लाख की ठगी, जानिए पूरा मामला
जमुई, बिहार – बिहार के जमुई जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें मिथिलेश मांझी नामक एक शख्स ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर बेरोजगार युवाओं को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा दिया और उनसे करीब 1 लाख 95 हजार रुपये ठग लिए। झूठ, चालबाजी, और कागजों की बुनियाद पर खड़ी एक ‘फर्जी नौकरी की दुकान’ चलाने वाला मिथिलेश मांझी पुलिस की नजरों में मास्टरमाइंड बनकर सामने आया है।
कैसे की गई ठगी? लाल और हरे झंडों का अनोखा खेल
मिथिलेश मांझी ने ठगी का ऐसा ताना-बाना बुना कि बेरोजगार युवा आसानी से उसके झांसे में आ गए। वह युवाओं को जमुई रेलवे स्टेशन पर ले जाकर उन्हें “रेलवे गार्ड” दिखाता और दावा करता, “यह तुम्हारा काम होगा। बस मेरी मदद करो, नौकरी पक्की समझो।” असलीपन का नकाब ओढ़ने के लिए वह लाल और हरे रंग की झंडियां भी लहराता, मानो वह रेलवे का उच्च अधिकारी हो। इसके पीछे उसका मकसद युवाओं को विश्वास में लेकर उनसे पैसे ऐंठना था।
“मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं, लेकिन आईपीएस बन गया हूं”
युवाओं में भरोसा पैदा करने के लिए मिथिलेश ने खुद को एक संघर्षशील व्यक्ति के रूप में पेश किया। जब युवाओं ने पूछा कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं, तो उनकी नौकरी कैसे लगेगी, तो उसने यह कहकर उनकी शंका दूर की, “मैं भी तो पढ़ा-लिखा नहीं हूं, लेकिन आईपीएस बन गया ना।” उसके इन शब्दों ने युवाओं को उसकी बात पर भरोसा करने को मजबूर कर दिया।
12 पीड़ित, लाखों की ठगी
इस शातिर ठग के जाल में फंसकर 12 बेरोजगार युवाओं ने अपनी मेहनत की कमाई से 1 लाख 95 हजार रुपये उसे दे दिए। एक पीड़ित युवक, विमल मांझी ने बताया कि मिथिलेश ने उससे नौकरी के नाम पर कुल 90 हजार रुपये ठग लिए। मिथिलेश ने यह रकम अलग-अलग किश्तों में ली, पहले 15 हजार, फिर 13 हजार और बाकी पैसे नौकरी पक्की करने का दावा करते हुए ऐंठ लिए।
रिश्तेदार भी शामिल, फूफा ने नौकरी का भरोसा दिलाया
मिथिलेश की ठगी का जाल इतना फैला था कि उसके फूफा, सोखो, ने भी इस खेल में अपनी भूमिका निभाई। पीड़ित जय राम कुमार ने बताया कि मिथिलेश के फूफा ने उसे विश्वास दिलाया कि मिथिलेश अब एसपी बन गया है और रेलवे में उसकी नौकरी पक्की करवा सकता है। इसके बदले उसने डेढ़ लाख रुपये की मांग की, जिसमें जय राम ने 12 हजार रुपये दिए। इसी तरह, एक अन्य युवक लालजीत मांझी ने 1 लाख 50 हजार रुपये नौकरी के नाम पर गंवा