इंदौर जिला कोर्ट ने 2 साल की मासूम से दुष्कृत्य और हत्या के प्रयास के दोषी ट्रक डाइवर को चार धाराओं में चार बार उम्रकैद की सजा सुनाई है। फैसले में कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। कहा है कि दोषी ने बालिका को घर से ले जाकर उसके साथ बलात्कार की घटना कारित की। उसे गंभीर चोंटे पहुंचाई।
यह उसकी आपराधिक कुंठित मानसिकता को दर्शाता है। वर्तमान परिवेश में महिलाएं न केवल घर के बाहर बल्कि घर के अंदर भी असुरक्षित हैं। ऐसी स्थिति में अभियुक्त को न्यूनतम दंडादेश दिया जाना न्यायोचित और विधिपूर्ण नहीं है ।
धार का रहने वाला है
दोषी दिनेश डाबर (38) धार के करददा का निवासी है। वारदात 12 अक्टूबर 2022 को आधी रात को हुई थी। शहर के पश्चिम क्षेत्र में रहने वाली 2 वर्षीय बच्ची के पिता ने अगले दिन 13 अक्टूबर को रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसमें बताया कि वह इंदौर में निर्माणाधीन मकान में 1 वर्ष से चौकीदारी कर रहा है। उस मकान के बाहर वाले कमरे में अपनी पत्नी और दो बच्चों (4 और 2 वर्ष) बच्चों के साथ रहता है। मकान निर्माणाधीन है इस कारण कमरे में दरवाजे नहीं लगे हैं।
12 अक्टूबर की रात की 10 बजे वह परिवार के साथ अपने मकान में सो रहा था। उसकी पत्नी के साथ उसके दोनों बच्चे एक पलंग पर सो रहे थे और वह दूसरे पलंग पर सो रहा था। रात डेढ़ बजे घर के चौखट में लगे पटिये के गिरने की आवाज सुनकर उसकी नींद खुल गई। उसने देखा कि घर के चौखट की पटिया गिरी हुई थी। इस पर वह पटिया दरवाजे के पास वापस रखकर सो गया।
फिर रात 2 बजे उसकी पत्नी ने उसे उठाकर बताया कि उसकी 2 वर्षीय बच्ची घर में नहीं है। उसने और उसकी पत्नी ने पुत्री की आसपास तलाश किया लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। मामले में पुलिस ने पिता की रिपोर्ट पर अज्ञात के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर तलाश शुरू की।
अगले दिन झाड़ियों में लहूलुहान मिली थी 13 अक्टूबर को सुबह रेती मंडी रोड स्थित खम्बाती कंपाउंड के सामने डायल-100 के सिपाही अभिनव सेन को झाड़ियों के पास घायल अवस्था में वह बच्ची मिली। जिसकी पहचान उसके माता-पिता ने की। विवेचना में घटनास्थल के आसपास स्थित सीसीटीवी फुटेज की रिकार्डिंग जब्त की। सीसीटीवी फुटेज में घटना में प्रयुक्त ट्रक ड्राइवर बच्ची के घर जाते हुए और वापस आते हुए दिखाई दिया।
पिता ने पहचाना ट्रक ड्राइवर को इन फुटेज की पहचान बच्ची के पिता से कराई तो उन्होंने बताया कि यह इस ट्रक का ड्राइवर दिनेश डाबर है। पुलिस ने इसे हिरासत में लेकर उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया। इसके साथ ही डीएनए जांच करवाई गई तो उसके द्वारा यह अपराध किया जाना साबित हुआ और उसने स्वीकार भी किया। इस पर पुलिस ने उसके खिलाफ अपहरण, पाॅक्सो, जान से मारने का प्रयास सहित गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया।
इन धाराओं में हुआ आजीवन कारावास
5 दिसंबर को अपर सत्र न्या्याधीश महोदय (विशेष न्यायालय पॉक्सो अधिनियम) क्षिप्रा पटेल ने आरोपी को विभिन्न चार धाराओं में आजीवन कारावास से दंडित किया। जिन धाराओं में उसे चार बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है वे धारा 5एम/6 पॉक्सो एक्ट, 5-J (iii) /6 पॉक्सो एक्ट, 5(ईR/ 6 पॉक्सो एक्टा और धारा 307 है।
इसके साथ ही भादंवि की धारा 366 में 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 42 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सुशीला राठौर और प्रीति अग्रवाल ने की।
परिस्थितिजन्य साक्ष्य और 31 गवाहों से केस को मिली मजबूती
खास बात यह कि इस केस को कोर्ट ने गंभीर एवं सनसनीखेज प्रकरणों की श्रेणी में लिया। इसमें अभियोजन की ओर से कुल 31 गवाह करवाए गए। इसके अलावा परिस्थितजंय साक्ष्य भी काफी मजबूत रहे जिससे आरोपी को चौहरा आजीवन कारावास हुआ। इस मामले में कोर्ट ने पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत पीड़िता मासूम को 3 लाख रुपए की राशि देने की अनुशंसा की है।




