संस्कृति मंत्री बोले-बर्थडे पर फूंका-थूका केक खिलाते हैं:
बच्चों को लोग अंग्रेजी मीडियम में पढ़ा रहे हैं। उन्हें लगता है कि इससे बच्चों का उत्थान ज्यादा होगा। अब अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने वाले बच्चे का जन्मदिन मनाने का तरीका बदल गया है। पहले अपने जन्मदिन पर बच्चा सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम करता था, और मंदिर जाता था। अब मोमबत्ती जलाकर उसे फूंककर बुझाता है। फिर फूंका और थूंका हुआ केक सबको खिलाते हैं। वहीं हिंदी भाषा के प्रयास से हम भारतीय संस्कृति, संस्कार, परंपरा और पूर्वजों के निकट आते हैं।
यह कहना है कि एमपी के संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी का। वे शनिवार को भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में हुए कार्यक्रम में हिंदी भाषा के साहित्य सृजन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए देश-दुनिया के प्रतिष्ठित लेखकों का सम्मान भी किया गया।
संस्कृति मंत्री लोधी ने यह भी कहा कि, मध्यप्रदेश में अब MBBS, इंजीनियरिंग, बी-टेक की पढ़ाई भी हिंदी में हो रही है। इसके पाठ्यक्रम हिंदी में तैयार किए गए हैं। हिंदी सबको एक सूत्र में पिरोती है। इसलिए हम सभी संकल्प लें कि हिंदी में ही बोलचाल और काम करेंगे। इससे हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा।
अलंकरण समारोह में मौजूद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला।
हिंदी ने एमपी में सुंदरता को अपनाया: मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- भाषा का स्वाभिमान होना चाहिए। आजादी के पहले अंग्रेज और अंग्रेजियत ने जकड़ रखा था। जिससे पार पाने में आजादी के सैनानियों ने अपनी ताकत लगाई। अंग्रेजियत और अंग्रेज के बीच हिंदी को बढ़ावा देना कठिन काम है। भारत के माथे की बिंदी हमारी हिंदी है। हिंदू से हिंदी बनता है। यहां तो हिंदू बोल देने से लोग पता नहीं क्या-क्या जोड़ते हैं। हिंदुस्तान में रहने वाला हिंदुस्तानी ही होगा। भाषा का राजनीतिक दृष्टि से उपयोग कर लोग लड़ाने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा, अटलजी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में हिंदी में भाषण देकर हिंदी का मान बढ़ाया था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी दौरे के दौरान अंग्रेजी बोलना आने के बाद भी अपनी मातृभाषा हिंदी में बोलते हैं। हिंदी का उद्गम अवधी से हुआ है। हिंदी को एमपी में सुंदरता से अपनाया है। एमपी में हिंदी उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम में बोली जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा, बोला जाता था कि बिना अंग्रेजी पढ़े डॉक्टर कैसे बन सकता है, इंजीनियर कैसे बन सकता है, लेकिन मध्यप्रदेश में एमबीबीएस, इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में ही होने लगी है। हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में से एक है।