OBC Reservation In Mp : नीट यूजी में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण लागू नहीं करने को चुनौती पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई बढ़ी
मध्यप्रदेश में यूजी नीट, एमबीबीएस में प्रवेश के लिए ओबीसी को आरक्षण अधिनियम एवं मध्य प्रदेश मेडिकल प्रवेश नियम 2018 के तहत ओबीसी वर्ग के छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण नहीं दिए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जस्टिस शील नागू व जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद प्रकरण को पूर्व में लंबित याचिकाओं के साथ क्लब करने के निर्देश दिए थे। बुधवार को प्रारम्भिक बहस हुई। मामले पर अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी। यह याचिका सिवनी की उमा कहार ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक शाह और रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण अधिनियम की वैधानिकता को चुनौती देते हुए एक और याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की गई है। सीधी जिले की रहने वाली अंजू शुक्ला ने याचिका दायर कर बताया कि गृह विभाग ने साइंटिफिक आफीसर के पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया है। इसमें ओबीसी के लिए 27 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस एमएस भट्टी की खंडपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की बेंच ने इंदिरा साहनी वाले मामले में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि कुल आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। शासन की ओर से विशेष आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि संविधान में ऐसा कोई प्रविधान नहीं जो आरक्षण की सीमा को 50% से ज्यादा होने से रोकता हो। जहां तक इंदिरा साहनी प्रकरण का मामला है उसमें सुप्रीम कोर्ट ने 50% की सीमा को मेंडेटरी नहीं किया है, विशेष परिस्थितियों में ये सीमा 50% से ज्यादा हो सकती है। मराठा आरक्षण में भी सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है।
मामले पर सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि संसद द्वारा इंदिरा साहनी के प्रकरण में दिए फैसले के प्रभाव को समाप्त करने हेतु संविधान में 103 वा संशोधन किया जा चुका है। इससे ओबीसी को दिए 27% आरक्षण पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने का न्यायालय की अधिकारिता में नहीं है ना ही न्यायालय का काम कानून बनाना है।