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72 घंटे पहले हो चुकी थी कैदी की मौत, जेलर-टीआई समेत 8 पर एफआईआर

भोपाल जेल में बंद विचाराधीन कैदी की मौत के मामले में कई खुलासे हुए हैं। कैदी मोहसिन खान (24) की 23 जून 2015 को संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। मामले में तत्कालीन जेलर, टीआई, डॉक्टर और क्राइम ब्रांच के 5 कॉन्स्टेबल पर एफआईआर के आदेश हुए हैं।

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एडवोकेट यावर खान ने मामले की पैरवी की है। यावर खान के मुताबिक- मोहसिन के जेल दाखिल करने और जेल से निकालने की दिनांक के फुटेज जेल प्रशासन की ओर से कोर्ट में मुहैया नहीं कराए गए थे।

मोहसिन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मारपीट की पुष्टि हुई थी। ग्वालियर के हॉस्पिटल में भर्ती कराने से 24 से 72 घंटे पहले ही मोहसिन की मौत हो चुकी थी।

उसे ग्वालियर ले जाने वाले दोनों आरक्षकों ने भी जेल प्रशासन के खिलाफ बयान दिए। बताया कि जेलर के आदेश का पालन करते हुए मोहसिन को ग्वालियर पहुंचाया था। अस्पताल पहुंचाने से पहले ही उसने बोलना बंद कर दिया था। कंधे के सहारे मोहसिन को जेल से बाहर निकाला था।

भोपाल निवासी जेल बंदी मोहसिन उर्फ रेडियो की 23 जून 2015 को मौत हो गई थी।

भोपाल निवासी जेल बंदी मोहसिन उर्फ रेडियो की 23 जून 2015 को मौत हो गई थी।

पूछताछ के लिए ले गए थे सिपाही

भोपाल निवासी जेल बंदी मोहसिन उर्फ रेडियो को 3 जून 2015 को दोपहर 2 बजे क्राइम ब्रांच के सिपाही मुरली, दिनेश खजूरिया और चिरोंजी पूछताछ के लिए ले गए थे। इसके बाद क्राइम ब्रांच की कस्टडी में बुरी तरह मारपीट की गई थी। 23 जून 2015 को उसकी मौत हो गई।

बताया गया कि उसकी मौत ग्वालियर के अस्पताल में इलाज के दौरान हुई। लेकिन, परिजनों ने कोर्ट में कहा था कि जब मोहसिन को छुड़वाने के लिए क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे तो उनसे 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई। इसके बाद क्राइम ब्रांच पुलिस ने मोहसिन पर टीटी नगर थाने में लूट का झूठा अपराध कायम कर दिया। उसे अदालत में पेश कर जेल भी भिजवा दिया। जेल में भी जेलर ने मोहसिन से मारपीट की।

हालत बिगड़ने पर हमीदिया पहुंचाया

मारपीट के बाद जेल में मोहसिन की हालत बिगड़ गई। सबसे पहले उसे हमीदिया अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से 18 जून 2015 को ग्वालियर मेंटल हॉस्पिटल ट्रांसफर कर दिया। जहां मोहसिन की 23 जून 2015 को मौत होना बताया गया।

न्यायिक हिरासत में मोहसिन की मौत की न्यायिक जांच में भी पुलिस और जेल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई गई थी। परिजनों ने कोर्ट में परिवाद दायर किया। परिवाद में दोषी पुलिस और जेल के अधिकारियों कर्मचारियों पर केस दर्ज करने की मांग की गई थी।

पीएम करने वाले डॉक्टर ने यह बताया

शव का पीएम करने वाले डॉ. चंद्रशेखर ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में कहा था कि शव पोस्टमॉर्टम के लिए जिस समय लाया गया था, उससे 24 से 72 घंटे पूर्व उसकी मौत हो चुकी थी। शरीर पर निशान मिले थे।

कोर्ट ने कहा था- कस्टडी में मौत, समाज पर गहरा धब्बा

मृतक की मां सीमा खान की ओर से पैरवी अधिवक्ता यावर खान ने की थी। इस मामले में पूर्व में 3 बार न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हत्या और साक्ष्य मिटाने का मामला दर्ज किया था। तीन बार सेशन कोर्ट ने वापस लोअर कोर्ट में पुनः जांच कर आदेश करने के लिए भेजा था।

चौथी बार फिर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पुलिस अधिकारी, जेलर सहित हमीदिया अस्पताल के तत्कालीन मेडिकल ऑफिसर के विरुद्ध हत्या और साक्ष्य मिटाने का अपराध दर्ज कर समन जारी किए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ज्यूडिशियल कस्टडी में मारपीट से हुई मौत समाज में गहरा धब्बा होता है।

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