आपका एम.पीटॉप-न्यूज़

राष्ट्रीय पुष्प कमल का विरोध अनुचित

लेखक सत्येंद्र जैन स्वतंत्र पत्रकार ।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता,पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने राष्ट्रीय पुष्प कमल को भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह से तुलना की है।दोनों पुष्पों में भिन्नता है ।एक हमारा राष्ट्रीय पुष्प कमल है जिसको वर्ष 1950 में कांग्रेस की सरकार ने ही राष्ट्रीय पुष्प के रूप में मान्यता दी।जिसमें सात पंखुड़ी हैं।दूसरा चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्त आठ पंखुड़ी वाला भाजपा का चिह्न कमल का फूल ।दोनों की बनावट में भिन्नता है ।
राष्ट्रीय पुष्प कमल को G20 के लोगो,थीम एवं वेबसाइट में लिया गया है जिससे हमारे भारतवर्ष का विश्व के समस्त देशों में गौरव बढ़ रहा है ।भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों को दुनिया को जानने का अवसर प्राप्त हो रहा है।


सर्वविदित है कि भारतीय स्वतंत्रता के अमृत काल में ,आने वाले 1 वर्ष के लिए भारत को दुनिया के देशों के महत्वपूर्ण समूह जी-20 की अध्यक्षता का अवसर मिल रहा है । दुनिया के सबसे धनवान देशों के समूह जी-20 की विधिवत अध्यक्षता का 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक के कार्यकाल के लिए भारत को अवसर प्राप्त हो रहा है ।यह महत्वपूर्ण समूह दुनिया की पचासी प्रतिशत जीडीपी,पचहत्तर प्रतिशत व्यवसाय एवं दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है ।इंडोनेशिया में जी-20 देशों का सम्मेलन प्रगति पर है ।कमल जो हमारा राष्ट्रीय पुष्प है को दुनिया देख रही है एवं भारत वासियों को गौरव का बोध हो रहा है ।दूसरा चिन्ह भारतीय जनता पार्टी का कमल है जिसको की भारतीय निर्वाचन आयोग ने अनुमोदित किया है ।यह राष्ट्रीय पुष्प कमल से भिन्न है ।कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता एवं अन्य विपक्षी दलों के नेता भी भारतीय जनता पार्टी के चिह्न से तुलना करते हैं ।अनजाने में ही देश के प्रतीकों का अपमान कर देते हैं।

राष्ट्रीय पुष्प कमल पर पहले भी कॉन्ग्रेस के सांसदों ने एवं अन्य विपक्षी दलों ने भी संसद में विरोध किया ।तीन वर्ष पहले भारतीय पासपोर्ट के ऊपर भी राष्ट्रीय प्रतीकों को प्रयोग किया जा रहा था तब भी कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी राष्ट्रीय पुष्प का अपमान किया था ।भारतीय जनता पार्टी के कमल से तुलना की थी ।उस समय भी भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर अभिमत दिया था कि वह पासपोर्ट के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों को नियमित अंतराल पर प्रयोग कर रहे हैं, राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नों को एक निश्चित समय अंतराल के बाद बदल बदल कर पासपोर्ट पर प्रयोग कर रहे हैं। उस समय भी कांग्रेस सांसद और अधीर रंजन चौधरी का दांव उल्टा पड़ गया था ।अभी भी कांग्रेस नेताओं का राष्ट्रीय पुष्प कमल का विरोध उल्टा प्रतीत हो रहा है। कमल का पुष्प हमारी संस्कृति में भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।हमारी सभ्यता एवं संस्कृति के प्रतीक चिह्नों में शुभ का प्रतीक है ।हिंदू धर्म में धन की देवी लक्ष्मी एवं ज्ञान की देवी सरस्वती का आसन भी लाल एवं श्वेत कमल है।सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का आसन भी कमल है।जैन ,बौद्ध एवं सिख धर्म में भी कमल पुष्प का मांगलिक महत्व है।
राष्ट्रीय पुष्प कमल का विरोध भारत की सभ्यता संस्कृति का विरोध है ।भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विरोध पतन का द्योतक है ।कांग्रेस नेता यह भी नहीं समझते कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम भी कमल का पर्यायवाची है।पंडित जवाहरलाल नेहरु की पत्नी श्रीमती कमला नेहरू के नाम में भी कमल आता है ।कमल का विरोध करना राजीव गांधी और कमला नेहरू के विरोध के समान है ।यह कार्य कांग्रेस के नेता स्वयं ही कर रहे हैं ।अन्य दल भी इसमें सम्मिलित हैं। व्यापकता से देखा जाए तो सभी राजनीतिक दलों को हमारे राष्ट्रीय चिन्हों का सम्मान करना चाहिए और वैश्विक, राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रादेशिक कार्यक्रमों में उनका समुचित प्रयोग करते हुए व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार भी करना चाहिए ।जिससे दुनिया के अंदर हमारे संवैधानिक मूल्यों का अधिकतम प्रचार प्रसार हो सके ।भारत एक बार पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित हो ।जी-20 देशों की अध्यक्षता करना भारतीय स्वतंत्रता के अमृत साल में भारत का विश्व गुरु के रूप में स्थापित होने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

https://www.highratecpm.com/npsxwf16?key=565d06ab35720384afe881c0e7364770