मऊगंज में किसान की कॉलर पकड़ने वाले तहसीलदार बीके पटेल को रीवा कमिश्नर बीएस जामोद ने सस्पेंड कर दिया है। मामले के संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
घटना 25 सितंबर को उप तहसील देवतालाब के गनिगमा गांव की है। इसका वीडियो शनिवार को सामने आया था।
कलेक्टर संजय कुमार ने कहा- तहसीलदार बीके पटेल ने जवाब दिया है कि वहां लोगों ने लोहे की सब्बल निकालकर धमकाया। मारपीट की नीयत से दौड़े। ऐसी स्थिति में पटेल ने बचाव के लिए किसानों के खिलाफ कार्रवाई की ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने से रोकी जा सके।
कलेक्टर ने बताया कि मामले की जांच अतिरिक्त जिलाधिकारी यानी एडीएम को सौंपी गई है। एडीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वे रविवार तक रिपोर्ट पेश करें।
तहसीलदार बोले थे- वीडियो एडिट किया गया
मामले पर सफाई देते हुए तहसीलदार बीके पटेल ने बताया था कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा वीडियो भ्रामक है, जिसे गलत तरीके से एडिट कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा था कि प्रकरण सिविल न्यायालय का था और प्रशासन को न्यायालय के आदेश का पालन करना अनिवार्य था।

दो परिवारों के बीच था जमीन का विवाद दरअसल, गनिगमा गांव में दो प्रजापति परिवारों के बीच जमीन का विवाद था। कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन जीतने वाले पक्षकार को कब्जा दिलाने पहुंचा था। इसी दौरान तहसीलदार वीरेंद्र पटेल बेकाबू हो गए और उन्होंने गांव के किसान सुषमेश पांडे की कॉलर पकड़कर झूमाझटकी की। कहा- कौन है तू? बकवास मत करना।
वहीं, एक और किसान कौशलेश प्रजापति ने भी तहसीलदार पर गाली देने का आरोप लगाया था।

नायब तहसीलदार बोले- विपक्षी पक्ष ने बाधा डाली मौके पर देवतालाब के नायब तहसीलदार उमाकांत शर्मा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा था कि तहसीलदार को भ्रम हो गया था इसलिए यह स्थिति बनी।
नायब तहसीलदार उमाकांत मिश्रा ने कहा था- 25 सितंबर को सिविल कोर्ट के आदेश का पालन करने गनिगमा गांव गए थे। दो प्रजापति परिवारों के बीच कब्जा दिलाने की कार्रवाई होनी थी। तहसीलदार मऊगंज बीके पटेल के साथ थाना लौर के टीआई और सिविल कोर्ट के नाजिर भी मौजूद थे।
जब दोनों पक्षों से दस्तावेज मांगे गए तो विपक्षी पक्ष ने कोई दस्तावेज नहीं दिया। वह गुस्से में आकर शासकीय कार्य में बाधा डालने लगा। विपक्षी पक्ष ने गाली-गलौज की। उस समय पुलिस बल भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं था, इसलिए समझाइश देकर अंततः मामला शांत कराया गया।
आरोप- तहसीलदार गृह जिले में ही पदस्थ प्रजापति परिवार का आरोप था कि तहसीलदार पटेल मऊगंज जिले के ही निवासी हैं। नियमों के अनुसार, किसी अधिकारी को उसके गृह जिले में पदस्थ नहीं किया जाता है ताकि निष्पक्षता बनी रहे। तहसीलदार का पूरा परिवार नई गढ़ी के वार्ड क्रमांक 6 में रहता है, जहां उनके चार भाई रहते हैं।
पहले भी विवादों में रह चुके तहसीलदार पटेल तहसीलदार पटेल का विवादों से पुराना नाता रहा है। पूर्व में उन पर अधिवक्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार करने और आरटीआई के तहत मांगने पर गलत जानकारी देने के आरोप लगे थे। तब उन्होंने यह भी लिख दिया था कि वकील भारत के नागरिक नहीं हैं। जिसके बाद वकीलों ने मऊगंज कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।





