पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा है कि राजनीति में अब शुचिता आ चुकी है, लेकिन अफसरशाही में अभी इसकी कमी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भी राजनीति की तरह शुचिता अपनानी चाहिए, तभी भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
राजधानी भोपाल में मीडिया से चर्चा के दौरान उमा भारती ने यह बातें कही। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें 75 वर्ष की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से दूर रहने की बात कही गई थी। उमा ने स्पष्ट किया कि उनकी उम्र अभी 75 वर्ष नहीं हुई है और इस बयान को लेकर जो भी बातें सामने आ रही हैं, वे पूरी तरह गलत और निराधार हैं।
सरकारी तंत्र से भी झेलनी पड़ी प्रताड़ना
उमा भारती ने कहा कि 1990 से 1992 के दौरान जिन सरकारों का दबाव था, उस समय उन्हें प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था। उन्होंने यह भी बताया कि 2013 में जब व्यापमं घोटाला उजागर हुआ था, तब भी उनका नाम घसीटा गया और उन्हें उस समय भी मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
उन्होंने कहा कि वह अब अपने परिवार से पूरी तरह अलग हो रही हैं, लेकिन राजनीति में सक्रिय बनी रहेंगी। उन्होंने यह भी दोहराया कि गंगा, गोमाता और शराबबंदी को लेकर उनका संघर्ष आजीवन जारी रहेगा।
शराबबंदी पर और प्रयास जरूरी
उमा ने कहा कि केंद्र सरकार गंगा शुद्धिकरण के लिए काम कर रही है और मध्य प्रदेश सरकार ने भी गाय के संरक्षण के लिए प्रयास शुरू किए हैं। हालांकि, अभी इन दोनों क्षेत्रों में और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने शराबबंदी के मुद्दे पर भी जोर देते हुए कहा कि इस दिशा में और ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।