women awareness campaign: गांव में शरू हुई पैड बैंक से फ्री में मिल रहे सैनिटरी पैड
आपने कई तरह की बैंक देखी होंगी और उनके अलग अलग नाम भी सुने होंगे, पर क्या आपने सेनेटरी पैड बैंक के बारे मे सुना है। अगर नहीं सुना है तो हम आपको बताने जा रहे है ऐसी ही एक पैड बैंक के बारे में। जिसकी शुरुआत की है शहर के युवाओं की टोली ने, जो महिलाओं ओर युवतियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ साथ इन्हें फ्री में सैनिटरी पैड उपलब्ध करा रही हैं। जिसके लिए इन्होने पैड बैंक की शुरुआत की है। जिसमें सैनिटरी पैड जमा किए जाते हैं। फिर इन्हें आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं और युवतियों को निशुल्क दिया जाता है।
पैड बैंक की जानकारी देते हुए संस्था के अध्यक्ष अमित द्विवेदी ने बताया कि कोरोना के समय लाकडाउन में जहां हर व्यक्ति छोटी से छोटी चीज के लिए परेशान था राशन से लेकर सब्जी तक कि मारा मारी चल रही थी सारे बाजार और दुकाने बंद थे हर आदमी रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाला सामान के लिए परेशान हो रहा था। इस दौरान हमने देखा की महिलाएं भी सैनिटरी पैड के लिए परेशान है पर उन्हें ये उपलब्ध नही हो पा रहे। इनकी इस समस्या के समाधान हेतु हमने इन तक फ्री में पैड पहुचाने की योजना बनाई जिसके लिए हमने एक टीम तैयार की ओर इस दौरान हमने लगभग 25 हजार पैड वितरित किए। पैड वितरण के दौरान हमारा ताल पुरा गांव में जाना हुआ जहां पर जब हमने एक महिला को पैड दिया तो उसने बड़े आश्चर्य से इसको देखकर पूछा की ये क्या है। हमारे द्वारा उसे पैड के बारे में जब बताया गया तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ की ऐसी चीज भी आती है। महिला के द्वारा पैड के प्रति ये अज्ञानता हमारे दिल को छू गई और तभी हमने फैसला लिया की अब हमें महिलाओं को पैड और पीरियड के बारे में जागरूक करना है और हमने महादेव समर्पण सेवा संस्थान की स्थापना कर मिशन इंडिया पैड बैंक की शुरूआत नवंबर 2020 में मठा गांव से की जिसके बाद निम चंदोवा, बजरंग पूरा, बेला गांव और अभी आदिवासी का पुरा में हमारी पैड बैंक कार्यरत है।
ऐसे काम करता है पैड बैंक
सबसे पहले संस्था द्वारा गांव का सर्वे किया जाता है। फिर गांव को गोद लेकर उस गांव की महिलाओं को पीरियड और पैड के संबंध में जानकारी देकर जागरूक किया जाता है। फिर इसी गांव की एक महिला को पैड बैंक की जिमेदारी सोपि जाती है। जो इसका संचालन करती है। फ्री में पैड लेने के लिए महिलाओं को यंहा रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद इन्हें एक कार्ड बना कर दिया जाता है। जिस पर महिला का नाम पता परिवार में महिलाओं की संख्या और जनवरी से दिसंबर तक के माह लिखे होते है। इस कार्ड को दिखाने पर ही महिलाओं को पैड दिए जाते है। और कार्ड पर इंट्री की जाती है। इस व्यबस्था से संस्था को पैड और इसके इस्तेमाल करने बाली महिलाओं की सही सही जानकारी हर माह मिलती रहती है।
दान और पाकेट मनी से आते है पैड
हर माह पैड बैंक के लिए पैड संस्था द्वरा शहर की सोसायटीयों से एकत्र किए जाते है इसमें शहर के कई लोग भी इनका सहयोग करते है। साथ ही संस्था से जुड़े सभी लोग हर महीने अपनी पोकेड मनी एकत्र कर बाजार से पैड खरीद कर पैड बैंक में जमा कराते हैं।