World Wildlife Day 2022 Special: अब मध्य प्रदेश में इसलिये आबाद हैं बाघ, पेंगोलिन और कछुए
World Wildlife Day 2022 Special: हरिचरण यादव, भोपाल। मध्य प्रदेश यूं ही नहीं बाघ व तेंदुए की सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश बना है। यह परिणाम अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैले शिकारी व तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने से प्राप्त हुआ है। जिसके लिए बीते 11 वर्षों से स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर लगातार मेहनत कर रही है। चीन, नेपाल, ताइवान व म्यांमार समेत नौ देश और 14 राज्यों में शिकारियों के नेटवर्क में अब तक 1093 आरोपितों की पहचान कर अपराध दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें 75 प्रतिशत गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं। गिरफ्तार तस्करों में ताइवान, म्यांमार के दो नागरिक भी शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में 2018 की गणना में 526 बाघ थे। 2022 के प्रचलित आकलन के अनुसार यह संख्या 700 तक पहुंचने का अनुमान है। राज्य मेंं 2014 में 1517 तेंदुए थे, जिनकी संख्या अब 3421 है। दरअसल प्रदेश में 2006 में 300 बाघ थे, जो देश में सर्वाधिक थे।
भरपूर जंगल क्षेत्र होने के कारण तेंदुए, पेंगोलिन और जलीय तंत्र ठीक होने के कारण कछुओं की संख्या भी अच्छी खासी थी। जिन पर तस्करों की नजर पड़ी। तभी से तस्करों ने स्थानीय लोगों को मोहरा बनाया। रुपयों का लालच दिया और बाघ, तेंदुए, पेंगोलिन, कछुए समेत अन्य वन्यप्राणियों का शिकार कराया।
मामूली दामों पर इनके अंग मप्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, दिल्ली, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मिजोरम, सिक्किम, उत्तरप्रदेश, राजस्थान व ओडिशा के तस्करों ने खरीदे। यहां से बाघ के अंग नेपाल, चीन, तिब्बत, पेंगोलिन के अंग चीन, म्यांमार, तिब्बत, नेपाल, कछुए के अंग चीन, म्यांमार, थाईलैंड, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, हांगकांग और तेंदुए के अंग नेपाल तक भेजे गए थे।
कभी खत्म हो चुके थे बायसन, एक प्रोजेक्ट की वजह से अब हैं 140
मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कभी खत्म हो चुके बायसन (जंगली भैंसा) एक बार फिर इसे गुलजार कर रहे हैं। यह सफलता ‘इंट्रोडक्शन आफ गौर इन बांधवगढ़” नाम के प्रयास से मिली। 12 साल पहले शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट इन दिनों अपनी सफलता के चरम पर है। इसकी शुरुआत में 49 बायसन कान्हा टाइगर रिजर्व से यहां लाए गए थे, अब इनकी संख्या 140 से ज्यादा हो चुकी है।
इनका कहना है
प्रदेश में हर दृष्टि से बाघ, तेंदुए, पेंगोलिन और कछुए सहित सभी वन्यप्राणियों के लिए अनुकूल रहवास स्थल क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। इनके शिकार और अंगों की तस्करी की घटनाओं के संगठित गिरोह को भी तोड़ा गया है। इन सभी प्रयासों के चलते इनकी आबादी बढ़ रही है, जो मध्यप्रदेश के लिए अच्छा संकेत हैं।