पंचकल्याणक महामहोत्सव कुंडलपुर: 189 फीट की ऊंचाई वाले मंदिर का हो रहा तेजी से निर्माण
सुनील गौतम, दमोह। अपने आप में अद्वितीय कुंडलपुर में होने वाले पंचकल्याणक महामहोत्सव में ऐसे अनेक कारण जुड़ते जा रहे हैं जो शायद भूतों ना भविष्यति के लिए सिद्ध होंगे। विश्व में शायद ही कभी ऐसा कोई आयोजन होगा जो दमोह जिले के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कुंडलपुर में आयोजित होने जा रहा है। यही कारण है कि जैन तीर्थ स्थलों में विश्व के सबसे बड़े और भव्य जैन मंदिर का निर्माण लगातार ही तेजी के साथ कुंडलपुर में चल रहा है और इस मंदिर निर्माण के लिए जहां प्रतिदिन हजारों मजदूर जुटे हुए हैं।
आकर्षण का केंद्र है मंदिर : जैन तीर्थ स्थलों में विश्व के सभी जैन मंदिरों में बन रहे भव्य मंदिर का कार्य विगत 15 वर्षों से लगातार ही निरंतर हजारों मजदूरों के सहयोग से चल रहा है। 189 फीट ऊंचाई वाले इस मंदिर में 12 लाख घन मीटर पत्थरों का उपयोग किया जा चुका है। यहां पर बिना किसी सीमेंट, लोहा के राजस्थान के तीन प्रकार के पत्थरों से नागर शैली में बड़े बाबा भगवान आदिनाथ के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर में मुख्य शिखर, गुड मंडप, नृत्य मंडप, रंग मंडप सहित अनेक प्रकार के भव्य स्थल का निर्माण किया जा रहा है।
पत्थरों में भी दिखाई देती हैं प्रतिमाएं : मंदिर के निर्माण में राजस्थान के जिन तीन प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया गया है उन पत्थरों में जैसलमेर के मूल सागर पत्थरों से बनाए गए गुण मंडप में देवी-देवताओं व नृत्यांगना आदि की मूर्तियों को बड़े ही गजब ढंग से उकेरा गया है। इन पत्थरों को जहां भक्तगण एक टकटकी लगाए देखते ही रहते हैं इन पत्थरों में जिस तरह से देवी-देवताओं सहित अन्य आकृतियों को उकेरा गया है वह एक अद्वितीय ही कला का प्रदर्शन प्रतीत हो रहा है। वहीं दूसरी ओर शीशम की लकड़ी का भी जिस प्रकार से यहां पर उपयोग किया गया है। वह भी देखते ही बनता है इसमें की गई नक्काशी को शायद ही कोई बिना देखे रह सके।
15 वर्षों से हो रहा निर्माण : इस विशाल आदिनाथ बड़े बाबा के मंदिर का निर्माण विगत 15 वर्षों से निरन्तर चल रहा है। इसमें जहां लगभग तीन हजार मजदूर प्रतिदिन काम करते हैं और अभी तक इस मंदिर के निर्माण पर लगभग 300 करोड़ से भी अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है। 534 करोड रुपये की राशि इस मंदिर निर्माण में खर्च किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है लेकिन जिस प्रकार से मंदिर के निर्माण का कार्य भव्य तरीके से किया जा रहा है। उससे ऐसा नहीं लगता कि इस मंदिर के निर्माण में 534 करोड़ रुपये की राशि ही व्यय की जा सकेगी। लगभग यह लगभग 100 करोड़ रुपये और भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि मंदिर में जिस प्रकार से पत्थर को उकेरकर उपयोग किया जा रहा है और उसमें नक्काशी की जा रही है। उससे काफी समय लगने की उम्मीद है परंतु दुनिया के सबसे विशाल और भव्य बन रहे जैन मंदिर की छटा ही कुछ निराली है।