भूजल को प्रदूषित बना रहा आयल व पेट्रो-डीजल वाला खतरनाक पानी
राजधानी के गली- मोहल्लों में सर्विंसिंग सेंटरों ‘वाहन धुलाई केंद्र’ की बाढ़ आ गई है। इनमें दो पहिया व चार पहिया वाहनों की साफ-सफाई व धुलाई की जा रही है और इनमें से निकलने वाले आयल व पेट्रोल—डीजल युक्त पानी को सीधे नालों में छोड़ा जा रहा है। जिसकी वजह से भू-जल प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। यही पानी शहर के बड़े तालाब व शाहपुरा समेत अन्य तालाबों में मिल रहा है। इन तालाबों की सेहत भी बिगड़ती जा रही है। पर्यावरण विशेषज्ञ पूर्व से इस पर चिंता जता रहे हैं। साथ ही यह चेतावनी दे चुके हैं कि खतरनाक पानी को इसी तरह नालों में व वातावरण में छोड़ा गया तो भू-जल स्त्रोतों से मिलने वाला पानी अगले कुछ वर्षों में पीने योग्य नहीं बचेगा।
बता दें कि एक बूंद यूज्ड (उपयोग होने के बाद वाला आयल) आयल के गिरने से पांच मीटर का दायर दूषित हो जाता है। इस दायरे में जो भी जल स्त्रोत होता है वह दूषित हो जाता है। जमीन बंजर हो जाती है। दूषित जल के उपयोग करने से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह पेट्रोल और डीजल में भी कई तरह के हैवी मैटल होते हैं, जो जल स्त्रोतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे जलीय जीव नष्ट होते हैं, वनस्पति को भी नुकसान पहुंचता है।
600 से 1000 हुई अवैध सेंटरों की संख्या
राजधानी में पांच वर्ष पूर्व तक सर्विसिंग सेंटरों की सख्या 600 के करीब थी। यह जानकारी पूर्व में इस मामले को लेकर एनजीटी में याचिका लगाने वाले विशेषज्ञों की तरफ से बताई थी। उस वक्त निगम ने भी एक सर्वे कराया था। तब से लेकर अब तक इनकी संख्या 1000 से पार हो चुकी है। जिस हिसाब से आबादी बढ़ रही है उस अनुरूप इनकी संख्या भी बढ़ रही है।
लाखों लीटर दूषित पानी छोड़ा जा रहा
नालों और खुले वातावरण में हर रोज लाखों लीटर दूषित पानी छोड़ा जा रहा है। यही पानी जाकर भू—जल स्त्रोतों में मिलता है और साफ पानी को भी प्रदूषित बना रहा है। एक अनुमान के मुताबिक सर्विसिंग सेंटरों से एक दिन में लाखों लीटर पानी छोड़ा जा रहा है।