अनियमितता के आरोप में घिरे मध्य प्रदेश के दो आइएएस अधिकारी, केंद्र से मांगी कार्रवाई की अनुमति
भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश के दो आइएएस अधिकारी अंजू सिंह बघेल और एमएस भिलाला पर अनियमितता के मामले में कार्रवाई होगी। विभागीय जांच के बाद दोनों के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित है। इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई है। दरअसल, दोनों अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, इसलिए पेंशन रोकने या उससे वसूली करने का निर्णय करने से पूर्व केंद्र सरकार की अनुमति अनिवार्य है। उधर, लोकायुक्त संगठन और राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में 63 आइएएस अधिकारियों के विरुद्ध शिकायतें लंबित हैं।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अंजू सिंह बघेल पर कटनी में कलेक्टर रहने के दौरान सीलिंग की जमीन निजी भू-स्वामियों को देने के आरोप थे। उन्हें निलंबित कर जांच कराई गई थी। हालांकि, ये जांच पूरी नहीं हो पाई और वह सेवानिवृत्त हो गईं। इसी तरह रतलाम में कलेक्टर रहते हुए एमएस भिलाला को क्रय नियमों के विरुद्ध खरीदी के मामले में हटाया गया था। विभाग ने जांच भी प्रारंभ की लेकिन जांच पूरी होने के पहले ही वह भी सेवानिवृत्त हो गए। सूत्रों का कहना है कि दोनों को जांच में दोषी पाया गया है और अब उनके विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित है। इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलते ही कैबिनेट के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा।
63 अधिकारियों की शिकायतें लंबित
63 आइएएस अधिकारियों की शिकायतें लोकायुक्त (35) और राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (28) में लंबित हैं। जांच एजेंसियां इनका परीक्षण कर रही हैं। इसमें गड़बड़ी प्रमाणित होने पर प्रकरण दर्ज किया जाएगा। सर्वाधिक दस शिकायतें 2020 में लोकायुक्त संगठन में हुई थीं। वर्ष 2021 में छह शिकायतें हुई हैं। राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में 2009 से शिकायत दर्ज हैं लेकिन इनका निराकरण अब तक नहीं हो पाया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जब तक जांच के निष्कर्षों के आधार पर तय होगा कि क्या कार्रवाई की जाएगी।
विधानसभा में लगाए प्रश्न
पिछली बार की तरह इस बार भी कांग्रेस के विधायकों ने आइएएस, आइपीएस और आइएफएस अधिकारियों के विरुद्ध लंबित जांच को लेकर प्रश्न लगाए हैं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मेवाराम जाटव ने लोकायुक्त संगठन और राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के विरुद्ध प्रचलित शिकायतें की जानकारी मांगी थी। इसमें सामने ऐसा कोई वर्ष नहीं है, जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत दर्ज न हुई हो।