जबलपुर जिला अस्पताल में लागू नहीं हो पाई टोकन सिस्टम प्रणाली, 10 माह पहले जारी कर चुके हैं निर्देश
जिला अस्पताल विक्टोरिया में मरीजों को लंबी कतार से राहत दिलाने का फरमान कागजों में दम तोड़ रहा है। मरीजों को राहत दिलाने वाला यह फरमान संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा 28 जून 2021 को जारी किया गया था, जो टोकन सिस्टम प्रणाली से जुड़ा है। संचालनालय ने निर्देश दिया था कि ओपीडी में मरीजों की भीड़ को नियंत्रित करने तथा ‘क्यू मैनेजमेंट’ के लिए टोकन सिस्टम प्रणाली लागू की जाए। संचालनालय ने जिला अस्पताल रायसेन का उदाहरण दिया था जहां मरीजों के हित में लागू की गई यह व्यवस्था प्रभावशील पाई गई। निर्देश जारी होने के करीब 10 माह बाद भी विक्टोरिया अस्पताल में टोकन सिस्टम प्रणाली पर काम शुरू नहीं हो पाया है।बनती है झगड़े की स्थिति: संचालनालय ने माना है कि ओपीडी में भीड़ नियंत्रित करने के कारगर उपाय न होने के कारण कई बार झगड़े की स्थिति निर्मित होती है। अपने क्रम के बारे में जानकारी न होने पर मरीज परेशान होते हैं। किसी मरीज के बाद ओपीडी में पहुंचे मरीज को यदि पहले चिकित्सीय परामर्श मिल जाता है तो दूसरे मरीज विवाद पर उतारू हो जाते हैं। सामान्यत: ओपीडी कक्ष के बाहर मरीजों की भीड़ रहती है। परामर्श के लिए उन्हें लंबी कतार में खड़े होना पड़ता है।
आरकेएस से व्यय का प्राविधान: टोकन सिस्टम में होने वाले व्यय की व्यवस्था रोगी कल्याण समिति (आरकेएस) से करने के निर्देश जारी किए गए थे। संचालन ने स्पष्ट किया था कि बेस्ट प्रेक्टिसेज के रूप में लागू की जाने वाली इस व्यवस्था के लिए बाकायदा निविदा जारी की जाए। निविदा के जरिए एजेंसी का चयन किया जाए जो टोकन सिस्टम व डिस्प्ले व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू कर सके। जिला अस्पताल में न्यूनतम 10 काउंटर व पांच डिस्प्ले बनाए जाएं।
एल्गिन व मेडिकल में भी लागू हो टोकन सिस्टम: जिला अस्पताल विक्टोरिया में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग नहीं है। जबकि रानी दुर्गावती चिकित्सालय एल्गिन व नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कालेज अस्पताल में यह विभाग संचालित है। जानकारों का कहना है कि विक्टोरिया के साथ एल्गिन व मेडिकल में भी भीड़ को नियंत्रित करने तथा ‘क्यू मैनेजमेंट’ के लिए टोकन सिस्टम प्रणाली लागू करने की आवश्यकता है।
10 विभागों के लिए अनिवार्य: टोकन सिस्टम प्रणाली को जनरल ओपीडी, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, शिशु राेग विभाग, नेत्र रोग विभाग, जनरल सर्जरी, सोनोग्राफी, पैथालाजी, एनसीडी क्लीनिक, आकस्मिक चिकित्सा विभाग, एक्स रे कक्ष के लिए अनिवार्य किया गया है।
मरीजों की समस्या पर एक नजर:
-जिला अस्पताल पहुंचने पर मरीज अथवा स्वजन को पंजीयन कराने के लिए कतार में खड़े होना पड़ता है।
-पंजीयन उपरांत उन्हें चिकित्सीय परामर्श के लिए चिकित्सक कक्ष के बाहर कतार में खड़े होना पड़ता है।-चिकित्सीय परामर्श के दौरान यदि जांचें लिख दी जाती हैं तो जांच कक्ष के बाहर भी मरीजों को लंबी कतार मिलती है।-जांच के लिए मरीजों को पुन: पंजीयन कक्ष में परचा बनवाना पड़ता है। इसके लिए वे दोबारा कतार में खड़े होते हैं।-मरीजों का ज्यादातर समय कतार में खड़े-खड़े निकल जाता है। गंभीर मरीज व उनके स्वजन परेशान होते रहते हैं।
यह हैं निर्देश--पंजीयन कक्ष में मरीजों को टोकन दे दिया जाए।-टोकन में ओपीडी कक्ष क्रमांक व मरीज का नंबर अंकित रहे।-मरीज ओपीडी में बैठकर अपनी बारी का इंतजार करे।-ओपीडी में टोकन नंबर डिस्प्ले किया जाए।-टोकन नंबर डिस्प्ले होने के साथ नंबर आने पर मरीज के नाम का एनाउंसमेंट किया जाए।
———————–जिला अस्पताल में भीड़ को नियंत्रित करने तथा ‘क्यू मैनेजमेंट’ के लिए टोकन सिस्टम प्रणाली बेहतर साबित हो सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श उपरांत यह व्यवस्था लागू करने के प्रयास किए जाएंगे।डा. केके वर्मा, डीएचओ