फसलों में पाला लगने की आशंका से किसानों की नींद उड़ी
सईद नादां. बेगमगंज। अन्नादाता की फसलों पर बीते वर्ष से हर मौसम में प्राकृतिक प्रकोप से 20 फीसद से अधिक की क्षति हो रही है। पहले से ही फसलों में कीट प्रकोप के कारण उकठा, माहू, इल्ली आदि व्याधी की मार झेल रहे किसानों को फसलों में पाला लगाने का डर सताते लगा है। कुछ दिनों से क्षेत्र में बादल छाए रहने, कोहरा के चलते मौसम में बदलाव हुआ है। मंगलवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री से नीचे रहा। सुबह फसलों पर ओस की बूंदें बर्फ की तरह जमी दिखाई दीं। फसलों पर कोहरे की चादर देख किसान पाला की आशंका जता रहे हैं।
मौसम विभाग ने पाला लगने की आशंका जताई
वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. स्वप्निल दुबे ने बताया कि हिमाचल व जम्मू कश्मीर की पहाड़ियों में हो रही बर्फबारी के चलते मध्य उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। जिसका असर मध्यप्रदेश में भी पड़ने लगा है। अंचल का तापमान भी कम होने की संभावना जताई थी। जिससे पाला की आशंका बनी हुई है। अगर तापमान 5 डिग्री से कम होता है तो पाला लगने की संभावना अधिक हो जाएगी।
पाला से सब्जियों को ज्यादा नुकसान की आशंका
शीतलहर एवं पाला से टमाटर, मिर्च, बैंगन आदी सब्जियों, पपीता एवं केले के पौधों एवं मटर, चना, मसूर, अलसी, सरसों, धनिया, सौंफ आदि फसलों को 80 से 90 फीसद तक नुकसान हो सकता है। अरहर में 70 फीसद, गन्नो में 50 फीसद एवं गेहूं तथा जौ में 10 से 20 फीसद तक नुकसान होने की आशंका है।
फसलों को पाला से बचाव के उपाय
कृषि विज्ञानी डा. दुबे ने बताया कि शाम के समय खेतों के चारों ओर कूड़ा करकट जलाकर धुआं करें। जहां पर पानी की उपलब्धता हो वह फसल में सिंचाई का उचित समय भी हो वहां खेतों में सिंचाई करें। उद्यानों व साग सब्जी फसलों में शीतलहर के बचाव के लिए उत्तर पश्चिम दिशा में वायु रोधी टाट पट्टियां बांधने से पाला लगने की संभावना कम रहेगी। किसान फसलों में एक पीपीएम या 0.1 गंधक, अम्ल का छिड़काव करें अर्थात 1 लीटर सल्फ्यूरिक अम्ल 93 फीसद मिलाकर प्लस एक किलो ग्राम ग्लूकोज दोनों को एक हजार लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करें। घुलनशील सल्फर 1.5 किलो ग्राम पोटेशियम सल्फेट 0ः0ः50 घुलनशील बोरॉन 50 ग्राम प्रति पांच सौ लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें। ऐसा करने से पाला लगने की बहुत कम संभावना रहेगी।