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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने आदिवासी विद्यार्थियों की समस्याएं आई तो छात्रावासों की जांच में जुटा प्रशासन

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सामने अनुसूचित जाति और जनजाति के विद्यार्थियों की समस्याएं आने के बाद जिला प्रशासन शहर और जिले के अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के छात्रावासों की जांच में तो जुट गया है, लेकिन यह जांच आधी-अधूरी साबित हो रही है। गुरुवार को अलग-अलग छात्रावासों में अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचे, लेकिन वहां समस्या बताने के लिए विद्यार्थी नहीं मिले। दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण होस्टल बंद कर दिए गए हैं और विद्यार्थियों को उनके घर भेजा हुआ है। अब इक्का-दुक्का विद्यार्थी ही छात्रवासों में हैं। स्कूली विद्यार्थियों के होस्टल तो पूरी तरह बंद हैं।

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दरअसल, गणतंत्र दिवस पर इंदौर में झंडावंदन करने आए मुख्यमंत्री चौहान अपनी पत्नी साधनासिंह के साथ किला मैदान स्थित अनुसूचित जाति-जनजाति पोस्ट मैट्रिक बालिका छात्रावास पहुंचे थे। वहां उन्होंने छात्राओं के साथ दोपहर का भोजन किया। इस दौरान छात्राओं ने छात्रवास में लाइब्रेरी, कम्प्यूटर आदि सुविधाएं देने की मांग के साथ अन्य समस्याएं बताईं। इस पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को छात्राओं की मांग पूरी करने के निर्देश दिए। इसके अगले ही दिन कलेक्टर मनीषसिंह ने अपने सभी एसडीएम और तहसीलदार को अपने-अपने क्षेत्र के शासकीय छात्रावासों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए।

छात्रावासों की जांच रिपोर्ट 15 दिन में पेश करने के लिए कहा गया है। इसी सिलसिले में अधिकारी जांच के लिए शहरी और ग्रामीण होस्टलों में जा रहे हैं। पर कुछ जगह अधीक्षक तो मिले लेकिन जिन विद्यार्थियों की समस्याएं जानने के लिए अधिकारी जा रहे हैं, वे नहीं हैं। ऐसे में अधिकारी भवन, कमरे, किचन, शौचालय आदि तो देख रहे हैं लेकिन यह निरीक्षण और जांच आधा-अधूरा साबित हो रहा है। विद्यार्थियों को कैसा भोजन मिल रहा है, साबुन, टूथपेस्ट या अन्य सामग्री मिल पा रही है या नहीं, शासन से भेजी हुई राशि का कहां-कैसे उपयोग हो रहा है, यह बताने वाला कोई नहीं है। अधीक्षक की बताई बातों पर भरोसा करके लौटना पड़ रहा है।

कलेक्टर ने भी किया था दौरा

उल्लेखनीय है कि हाल ही में कलेक्टर ने भी सुदामा नगर में आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास का दौरा किया था। यहां छात्राओं को गुणवत्तायुक्त भोजन न मिलने की बात सामने आने पर उन्होंने अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस देने का आदेश दिया था। साथ ही जरूरी सुधार होने तक उनका वेतन रोकने के निर्देश दिए थे। इसी तरह एक सप्ताह पहले किला मैदान परिसर में तीन छात्रावासों में छात्राओं के स्वास्थ्य परीक्षण शिविर के दौरान लगभग 20 छात्राओं में खून की कमी पाई गई थी। इससे जाहिर होता है कि छात्राओं को पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है। गत 25 दिसंबर को आयोजित एकलव्य विद्यार्थी सम्मेलन के दौरान भी मुख्यमंत्री के सामने आदिवासी विद्यार्थियों की समस्याएं आई थीं।

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