29 साल का लंबा इंतजार… टूटा इंदौर की रिंग का सपना
बाहुल्य क्षेत्र चंदन नगर में 29 साल पहले घोषित की गई योजना- 156 खत्म होने के साथ शहर की रिंग रोड का सपना भी टूट गया है। चंदन नगर जैसी अवैध बस्ती के बीच से 100 फीट चौड़ी रिंग रोड बनाने के लिए आइडीए ने यह योजना लागू की थी। 2006 में सड़क निर्माण का भूमिपूजन भी हो गया था, लेकिन विरोध के कारण सड़क नहीं बन सकी। दो दिन पहले हुई आइडीए बोर्ड बैठक में विवादों में रहने वाली योजना को लेकर पारित हुए संकल्प का ब्यौरा रखा गया। सरकार को भी योजना से जुड़े फैसले के बारे में चिट्ठी लिखकर अवगत कराया गया है। आइडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा ने चंदन नगर रिंग रोड के लिए घोषित योजना के स्वत: समाप्त होने की पुष्टि की।
आइडीए की यह चूक भारी पड़ी
आइडीए ने 29 सालों में इस योजना में 10 प्रतिशत विकास कार्य नहीं किया। इधर, मप्र ग्राम निवेश अधिनियम में हुए संशोधन के बाद छह माह के भीतर आइडीए ने नई स्कीम भी घोषित नहीं की। अधिनियम की संशोधित धारा 50(ख) में 25 साल पुरानी ऐसी योजनाओं को खत्म करने का प्रविधान है। इस कारण चंदन नगर योजना भी खत्म हो गई।
कांग्रेस नेता ने अवैध बस्ती खुद के नाम पर बसाई थी
कांग्रेस नेता और पूर्व पार्षद चंदू कुरील ने अवैध चंदन नगर बस्ती बसाई थी। बस्ती का नाम भी अपने नाम पर रखा था। बस्ती की मुख्य सड़क भी चंदूवाला रोड के नाम से जानी जाती है। 30 साल पहले जब अवैध बस्ती बसाई जा रही थी तब मास्टर प्लान में यहां 100 फीट चौड़ी सड़क प्रस्तावित थी, लेकिन तत्कालीन अफसर अतिक्रमण से आंख मूंदे रहे। न सड़क बनाई न अतिक्रमण हटाए।
400 प्रभावितों को दिए थे प्लाट
आइडीए ने वर्ष 2006 में चंदन नगर रिंग रोड बनाने का फैसला लिया था। 400 से ज्यादा प्रभावितों को आइडीए ने पॉश लोकेशन की स्कीम 136 में प्लाट भी आवंटित कर दिए, लेकिन लोग बस्ती से हटने के लिए तैयार नहीं थे। पांच साल पहले आइडीए ने आवंटन निरस्त कर स्कीम के 400 प्लाट बेच दिए।
अधूरी रिंग रोड से शहर को नुकसान
– 30 किलोमीटर लंबाई में रिंग रोड एयरपोर्ट से स्कीम-71 तक बन चुकी है। चार किलोमीटर की सड़क बन जाती तो शहर की रिंग पूरी हो जाती।
– अधूरी रिंग रोड के कारण बड़ा गणपति मार्ग से ट्रैफिक का दबाव रहता है। यहां से रात को बड़ी संख्या में भारी वाहनों की आवाजाही होती है।
– पश्चिम क्षेेत्र से एयरपोर्ट रोड तक जाने के लिए लोगों को चार किलोमीटर की ज्यादा दूरी तय करना पड़ती है।
कब क्या हुआ
-चंदन नगर बस्ती की 13.641 हेक्टेयर जमीन पर पर वर्ष 1993 मेें स्कीम-126 घोषित की गई थी।
– कलेक्टर कार्यालय से वर्ष 1999 में भू अर्जन अवार्ड घोषित किया गया, लेकिन आइडीए को सड़क बनाने के लिए जमीन नहीं मिली।
-वर्ष 2006 में नए सिरे से चंदन नगर में स्कीम-156 घोषित की गई।
– वर्ष 2006 में आइडीए का अमला सर्वे के लिए बस्ती पहुंचा था। तब रहवासियों ने विरोध किया और पथराव कर अफसरों को भगा दिया।
– उसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई और स्कीम नए नियम के तहत खत्म हो गई।