ग्वालियर में अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट का मामला टेकनपुर स्थित BSF (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के अधिकारी इंस्पेक्टर अबसार अहमद के साथ हुआ था। ठगों ने उनको 32 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखते हुए लगभग 72 लाख रुपए ठगे थे। आखिरी ट्रांजैक्शन ठगों ने कोलकाता की बंधन के खाते में कराया था। BSF ऑफिसर के साइबर सेल पहुंचने के बाद तत्काल इस खाते को फ्रीज कराया गया था।
बंधन बैंक के इस अकाउंट से चार लाख रुपए तत्काल ठगों ने निकाल लिए थे, लेकिन पुलिस ने 10 लाख रुपए होल्ड करा दिए थे। मंगलवार को कोर्ट की मदद से यह 10 लाख रुपए BSF ऑफिसर को वापस मिले हैं। जिसके बाद BSF ऑफिसर को काफी राहत मिली है। हालांकि पुलिस अभी तक एक भी आरोपी को इसमें नहीं पकड़ सकी है।
50 से ज्यादा बैंक अकाउंट में ठगी की रकम गई
ग्वालियर में बीएसएफ अधिकारी इंस्पेक्टर अबसार अहमद के साथ हुए डिजिटल अरेस्ट मामले में 50 से अधिक बैंक अकाउंट में ठगी की रकम ट्रांसफर की गई। जांच में सामने आया कि ठगों ने 32 दिन तक इंस्पेक्टर को डिजिटल अरेस्ट में रखकर उनसे लगभग 72 लाख रुपए ठग लिए। पुलिस की साइबर टीम ने जब डिटेल खंगाली, तो पाया कि ठगी का 75% पैसा चार प्रमुख बैंक खातों में गया है: कोलकाता, कर्नाटक, औरंगाबाद (बिहार) और गुड़गांव (हरियाणा) के खातों में। शेष राशि 50 अन्य बैंक खातों में वितरित की गई थी।
कुल मिलाकर 54 बैंक अकाउंट्स में यह ठगी की रकम ट्रांसफर की गई। इन खातों में से दो बंधन बैंक, एक बैंक ऑफ सिंगापुर, और एक बैंक ऑफ बड़ौदा का था। सबसे आखिरी ट्रांजैक्शन कोलकाता स्थित बंधन बैंक के खाते में हुआ, जिसमें 14 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। जब बीएसएफ अधिकारी पुलिस के पास पहुंचे, तो पुलिस ने तुरंत इस अकाउंट को फ्रीज किया, लेकिन तब तक ठग 4 लाख रुपए निकाल चुके थे। हालांकि, ग्वालियर साइबर पुलिस की सतर्कता के कारण 10 लाख रुपए बचाए जा सके।
बेखौफ थे ठग, खुलासे के बाद भी BSF इंस्पेक्टर को करते रहे थे कॉल
बीएसएफ अकादमी में पदस्थ इंस्पेक्टर अबसार अहमद को ठगने वाले ठग बेहद बेखौफ थे। उन्होंने बीएसएफ अधिकारी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में परिवार सहित गिरफ्तार करने की धमकी दी और 32 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। इस दौरान, बीएसएफ अधिकारी ने ठगों के बताए हुए विभिन्न बैंक अकाउंट्स में कुल 71.25 लाख रुपए ट्रांजैक्शन किए। इसके लिए उन्होंने अपने दिल्ली स्थित फ्लैट और यूपी में स्थित जमीन को बेचने के लिए एडवांस भी लिया।
1 दिसंबर 2024 से 2 जनवरी 2025 तक अधिकारी डिजिटल अरेस्ट में रहे, और 2 जनवरी को उनके बेटे ने उन्हें इस स्थिति से मुक्त कराया। इसके बाद उन्होंने क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज करवा दिया। हालांकि, ठगों ने शिकायत के बावजूद बीएसएफ अधिकारी को लगातार कॉल कर गिरफ्तारी का डर दिखाया। FIR के सात दिन बाद भी यह सिलसिला जारी रहा, और ठग अधिकारियों को धमकी देते रहे।
अभी तक पुलिस को नहीं मिली है सफलता ग्वालियर के अब तक के सबसे बड़े डिजिटल अरेस्ट मामले में पुलिस को 26 दिन बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है। पुलिस अभी तक किसी भी आरोपी तक नहीं पहुंच पाई है, और ठगी करने वाले अब भी गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस अब तक 50 से अधिक बैंक खातों की जांच में उलझी हुई है।
हालांकि, एक राहत की बात यह रही कि पुलिस ने 10 लाख रुपए की राशि वापस करा ली है, जिसे कोर्ट की मदद से बीएसएफ अधिकारी को लौटाया गया। यही 10 लाख रुपए पुलिस अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मान रही है, लेकिन आरोपी अभी तक पकड़ में नहीं आए हैं।
ग्वालियर के टेकनपुर स्थित बीएसएफ में पदस्थ इंस्पेक्टर अबसार अहमद का मामला ग्वालियर पुलिस के लिए एक बड़ा चुनौती बन गया है। अबसार अहमद ने पुलिस को बताया कि 2 दिसंबर 2024 को. सुबह 11:29 बजे उन्हें एक वॉट्सऐप कॉल आई, जिसमें कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को मुंबई साइबर और क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने बताया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है और उनके मोबाइल का गलत उपयोग हुआ है। इसके बाद उस व्यक्ति ने बीएसएफ इंस्पेक्टर को अपने परिवार सहित गिरफ्तार करने की धमकी दी और कहा कि कोर्ट का आदेश है कि उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
इस धमकी के बाद ठगों ने वीडियो कॉल के माध्यम से बीएसएफ अधिकारी से पैसे जमा करने की मांग की। इंस्पेक्टर अहमद ने 34 ट्रांजैक्शन में कुल 71.25 लाख रुपए ठगों को ट्रांसफर किए। इन पैसों को जुटाने के लिए इंस्पेक्टर को दिल्ली स्थित अपनी संपत्ति और उत्तर प्रदेश में अपनी ज़मीन बेचने के लिए एडवांस लेना पड़ा। इसके अलावा, उन्होंने दोस्तों से और अपनी बचत को भी इकट्ठा किया।
2 जनवरी को उनके बेटे ने उन्हें इस जाल से मुक्त कराया और उन्होंने क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज कराया। लेकिन इस मामले में पुलिस की जांच अब तक सफल नहीं हो पाई है, और ठग अभी भी पुलिस के पकड़ से बाहर हैं। एसपी ग्वालियर धर्मवीर सिंह ने बताया
हमारी साइबर क्राइम की टीम लगातार लगी है। कोलकाता के एक बंधक बैंक के अकाउंट से 10 लाख रुपए होल्ड कराए गए थे, जो आज कोर्ट की मदद से फरियादी को वापस मिले हैं।