MP से मिलेगी मिसाइल-जेट-रॉकेट लॉन्चर को ‘एनर्जी
मध्यप्रदेश से मिसाइल, जेट और रॉकेट लॉन्चर को एनर्जी मिलेगी। शिवपुरी में अडाणी ग्रुप 2500 करोड़ की लागत से डिफेंस यूनिट लगाने जा रहा है। इसमें विमानों में इस्तेमाल होने वाला प्रोपेलेंट बनाया जाएगा। प्रोपेलेंट एक तरह का फ्यूल होता है, जो एनर्जी जनरेट कर विमान को आगे बढ़ाने का काम करता है। इसे रक्षा और एविएशन से जुड़े सेक्टर में सप्लाई जाएगा।
इस डिफेंस यूनिट से 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। ग्वालियर में बुधवार को हुई रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में अडाणी पोर्ट्स के एमडी करण अडाणी ने 3500 करोड़ इन्वेस्ट करने का प्रस्ताव रखा। इसमें गुना में 500 करोड़ की सीमेंट ग्राइडिंग यूनिट और बदरवास में 500 करोड़ की महिला बेस्ड जैकेट फैक्ट्री लगाने की बात कही।
जानिए, क्या होता है प्रोपेलेंट और किस काम आता है
जीवाजी यूनिवर्सिटी से रिटायर्ड प्रोफेसर डीडी अग्रवाल बताते हैं, ‘ प्रोपेलेंट एक तरह का केमिकल है, जो फ्यूल की तरह होता है। यह मिसाइल, रॉकेट लाॅन्चर, जेट को चलाने के लिए एनर्जी जनरेट करता है।
‘प्रोपेलेंट’ को जलाने या इसके विघटन (डिसोल्यूशन) से गैस पैदा होती है, जो किसी भी जेट, रॉकेट लॉन्चर को आगे ले जाने के लिए एनर्जी देती है। कुछ अन्य प्राेपेलेंट केमिकल होते हैं, जिनको तेजी से वाष्पीकृत (वैपोराइज्ड) करने से फोर्स या एनर्जी मिलती है।
यूनिट का उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना और आयातक से निर्यातक देश के रूप में स्थापित करना है।’ करण अडाणी ने बताया कि प्रोपेलेंट प्रॉडक्टशन यूनिट “आत्मनिर्भर भारत” मिशन के तहत स्थापित की जा रही है।
कॉन्क्लेव में सीएम डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया।
डिफेंस यूनिट के लिए शिवपुरी को ही क्यों चुना?
प्रोफेसर डीडी अग्रवाल कहते हैं, ‘प्रोपेलेंट प्रोडक्शन यूनिट के लिए कई चीजें देखी जाती हैं। इसके लिए ऐसा शहर हो, जहां जमीन आसानी से मिल सके। इसकी देश-प्रदेश की राजधानी से अच्छी कनेक्टिविटी हो, जिससे केमिकल के टैंकर आसानी से आ-जा सकें। इसके अलावा, कर्मचारी और मजदूरों की उपलब्धता हो।
आसपास इंडस्ट्री न हो। सबसे बड़ी बात स्थानीय सरकार का समर्थन हो। इन सभी मानकों पर शिवपुरी ग्वालियर-चंबल में बेस्ट है। यहां नमी का माहौल रहता है, इसलिए केमिकल के रखरखाव मे परेशानी नहीं आएगी। सप्लाई के लिए सरकार के मानक तय हैं। विदेशों में भी डिफेंस सेक्टर में ही निर्यात कर सकते हैं।