जल जीवन मिशन को केंद्र से नहीं मिल रहा फंड
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के लेटर को X पर पोस्ट कर कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को घेरा है। सीएम ने यह लेटर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल को लिखा है। उन्होंने ‘जल जीवन मिशन’ के लिए इस वित्तीय वर्ष के बजट में आवंटित बाकी की राशि 2022.34 रुपए की मांग की है। अतिरिक्त जरूरतों को पूरा करने के लिए भी 4455.30 करोड़ रुपए अलग से मांगे हैं।
हर घर को नल से पीने का पानी मुहैया कराने के लिए 2019 में ‘जल जीवन मिशन’ योजना शुरू की गई थी। इस पर भोपाल से लेकर दिल्ली तक राजनीति तेज हो गई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने X पर लिखा, ‘अगस्त 2019 में गैर-जैविक पीएम ने बड़ी धूमधाम से जल जीवन मिशन की घोषणा की। मार्च 2024 तक देश के सभी घरों में नल से पीने का पानी उपलब्ध कराने का वादा किया गया। यह समय सीमा बीतने के सात महीने बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है।’
जयराम रमेश के पोस्ट पर एमपी बीजेपी के अध्यक्ष ने कहा, ‘आप अपने कार्यकालों को याद कीजिए। आपके ट्वीट करने से कुछ नहीं होता। आप मध्यप्रदेश आइए, गांव में चलिए, नल से पानी लोग पीते हैं।’
योजना की लागत शुरुआती अनुमान से दोगुनी हो गईं जयराम रमेश ने आगे लिखा, ‘अधिक चिंता की बात यह है कि अब यह सामने आ रहा है कि योजना की लागत प्रारंभिक अनुमानों से दोगुनी हो गई है। फंडिंग आवंटन पूरी तरह से अपर्याप्त है। प्रगति रुक गई है, क्योंकि राज्य सरकारें मामूली केंद्रीय वित्त पोषण के बीच निवेश जारी रखने में असमर्थ हैं। हालांकि गैर-जैविक पीएम की सरकार 50-60% लागत वहन करने के लिए सहमत हुई है।
कांग्रेस नेता ने X पर लिखा, ‘उदाहरण के लिए, मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 7,671.6 करोड़ का बजट रखा, लेकिन केंद्र सरकार ने केवल 4044.7 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। काम रुका हुआ है और देश भर में हजारों करोड़ रुपए का भुगतान लंबित है। इस मामले पर मध्यप्रदेश के सीएम समेत कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।’
रमेश ने पूछा- क्या यह वोटर्स से बदला लेने का प्रयास है जयराम रमेश ने लिखा, ‘यह बहुत बड़ा कुप्रबंधन है। शुरुआत में लागतों को बड़े पैमाने पर कम करके आंका गया था। पिछले पांच वर्षों में अपर्याप्त प्रगति हुई है। अब हम गैर-जैविक प्रधानमंत्री की प्रमुख योजनाओं में से एक में फंड की कमी देख रहे हैं। क्या यह सिर्फ सरकार की अक्षमता का नमूना है या 4 जून 2024 को स्व-घोषित देवत्व को दी गई तीखी फटकार के लिए भारत के सबसे गरीब मतदाताओं से बदला लेने का एक और अधिक भयावह प्रयास है?’