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सत्संग के प्रभाव से ही मति, कीर्ति और गति प्राप्त होती है : दीदी भक्‍तिप्रभा

रामकथा, संसार रूपी भवसागर से तारने के लिए नौका के समान है। संसार एक भवसागर है। इस भवसागर में विकार सबसे बड़ी बाधाएं हैं। हमारे हृदय में जब भक्ति का उदय होता है तो यह विकार दूर हो जाते हैं। सत्संग के प्रभाव से ही मति, कीर्ति और गति प्राप्त होती है।यह सद्विचार तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रतिष्ठा पुरुष पंडित रमाकांत दुबे की पुण्यतिथि के अवसर पर पहले दिन व्यास पीठ से दीदी भक्तिप्रभा ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा पंडित रमाकांत दुबे ने ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की जो त्रिवेणी यहां प्रवाहित की है वह एक आध्यात्मिक प्रयाग के रूप में है। जहां हम सब अनादिकाल तक इस भक्ति रूपी गंगा में अवगाहन करते रहेंगे। इस कार्यक्रम में अपने सम्मान समारोह के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सीता बेन ने कहा कि यह संतों का आर्शीवाद है। आपने रामकथा का महत्व प्रतिपादित किया। मुख्य अतिथि के रूप में माघवसिंह दांगी ने कहा कि भक्ति की गंगा की इस पवित्र धारा में अवगाहन कर हमसब धन्यता का अनुभव करें।

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सभी का स्वागत करते हुए तुलसी मानस प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने कहा कि पंडित रमाकांत दुबे हमारे शलाका पुरुष थे, जिनकी कीर्ति और यश के कारण ही हम सब यह पुण्य लाभ प्राप्त कर पा रहे है। प्रवक्ता देवेंद्र कुमार रावत ने बताया कि कार्यक्रम में शारदादेवी दुबे स्मृति सेवा सम्मान 21 से साध्वी सीताबेन, मंदसौर को सम्मानित किया गया। भाई रतनकुमार पत्रकारिता पुरस्कार 2021 से खुशी अग्रवाल, मंडला को एवं न्यायमूर्ति आरडी शुक्ल पुरस्कार 2021 से माया माहेश्वरी, भोपाल को सम्मानित किया गया। शुरुआत में दीदी भक्ति प्रभा का स्वागत विजय अग्रवाल, पीडी मिश्र, कैलाश जोशी, सचिव, रमेश शर्मा, सुशीला शुक्ला, राजेन्द्र शर्मा, नीता माधव सिंह दांगी और कमलेश जैमिनी द्वारा किया गया।

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