Hastinapur Seat 2022: जिसका हस्तिनापुर, उसका यूपी, पढ़िए सत्ता की महाभारत की दिलचस्प कहानी
Hastinapur Vidhan Sabha: हस्तिनापुर का नाम सुनते ही महाभारत की याद ताजा हो जाती है। पांडवों ने इसे ही अपनी राजधानी बनाया था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी हस्तिनापुर सीट (Hastinapur Vidhan Sabha) चर्चा में है। इस बीच, Hastinapur Vidhan Sabha और उत्तर प्रदेश में सत्ता की महाभारत का दिलचस्प कनेक्शन सामने आया है। कहा जा रहा है कि जिसका हस्तिनापुर, उसका उत्तर प्रदेश। अब तक के परिणाम बताते हैं कि जो पार्टी हस्तिनापुर विधानसभा सीट जीतती है, यूपी में उसी की सरकार बनती है। जाहिरतौर पर इस बार भी Hastinapur Vidhan Sabha पर भी सभी दल पूरी ताकत लगा रहे हैं।
Hastinapur Vidhan Sabha का इतिहास
हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था। शुरू में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विजयी होते रहे और लखनऊ पर भी कांग्रेस का भी कब्जा रहा। 1957 में कांग्रेस उम्मीदवार बिशंभर सिंह ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रीतम सिंह को हराकर सीट जीती। तब कांग्रेस ने संपूर्णानंद के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में सरकार बनाई।
1962 और 1967 में भी कांग्रेस ने हस्तिनापुर सीट जीती और सरकार बनाई। 1967 के बाद से मेरठ जिले में हस्तिनापुर अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए एकमात्र आरक्षित सीट रही। 1969 में कांग्रेस प्रत्याशी को भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) की आशा राम इंदु से हार का सामना करना पड़ा। 1967 में कांग्रेस से अलग होने के बाद चौधरी चरण सिंह द्वारा BKD का गठन किया गया था। चौधरी चरण सिंह 1969 में दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बने।
कांग्रेस ने 1974 में फिर से सीट जीती जिसमें रेवती रमन मौर्य विधायक चुने गए और फिर हेमवती नंदन बहुगुणा मुख्यमंत्री बने। पार्टी ने 1976 में सत्ता संभाली, जब एनडी तिवारी राज्य के मुख्यमंत्री थे।
यह भी कम रोचक नहीं है कि 1977 में भी रेवती रमन मौर्य ने जनता पार्टी (जेपी) के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और जैसा कि परंपरा बन गई थी, जेपी नेता राम नरेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1980 में कांग्रेस (आई) के झग्गर सिंह ने सीट से चुनाव जीता और विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्यमंत्री बने।
1985 में कांग्रेस के हर्षरन सिंह ने सीट जीती और एनडी तिवारी फिर से मुख्यमंत्री बने। 1989 में, मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने और उसी वर्ष झगड़ सिंह ने जनता दल (समाजवादी) के उम्मीदवार के रूप में हस्तिनापुर सीट से जीत दर्ज की। 11वीं और 12वीं विधानसभाओं में हस्तिनापुर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं हुए।
1996 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई और पार्टी उम्मीदवार अतुल खटीक ने हस्तिनापुर सीट पर कब्जा कर लिया। समाजवादी उम्मीदवार प्रभु दयाल बाल्मीकि ने पहली बार 2002 में हस्तिनापुर से जीत हासिल की, जहां मायावती ने एक साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री पद संभाला और फिर मुलायम सिंह यादव ने शेष अवधि के लिए सत्ता हासिल की। 2007 में बसपा के योगेश वर्मा ने सीट जीती और मायावती ने राज्य में सरकार बनाई।
2012 के चुनावों में बाल्मीकि ने फिर से बसपा उम्मीदवार योगेश वर्मा पर 6,641 मतों से जीत दर्ज की। अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने। 2017 में बीजेपी के दिनेश खटीक ने तत्कालीन बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा को हराया और योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
Hastinapur Vidhan Sabha: BJP vs SP vs BSP vs Congress
भाजपा ने इस बार भी दिनेश खटीक को टिकट दिया है। वहीं तब के बसपा प्रत्याशी योगेश वर्मा इस बार सपा-रालोद के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने अर्चना गौतम को और बसपा ने संजीव जाटव को उम्मीदवार बनाया है।