महाशिवरात्रि से पहले उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में कोटितीर्थ कुंड का जल शुद्ध करने की कवायद
।ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर तैयारियां जारी हैं। मंदिर समिति कोटितीर्थ कुंड की सफाई करा रही है। तीन सालों से प्रकृति व विज्ञान की मदद से कोटितीर्थ के पानी को शुद्ध किया जा रहा है। इसी साफ व स्वच्छ जल से प्रतिदिन भगवान महाकाल का अभिषेक किया जाता है।
ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने भगवान महाकाल का अभिषेक आरओ जल से करने का सुझाव दिया है। इसके परिपालन में मंदिर समिति ने ग्वालियर के अंतरराष्ट्रीय जलविद् डा. दुष्यंत दुबे की मदद ली है। करीब तीन साल पहले समिति ने उन्हीं के सुझाव पर कोटितीर्थ के जल को शुद्ध करने के लिए ओजोनेशन प्लांट लगाया है।
जिस समय ओजोनेशन प्लांट लगाया गया था, उस समय कोटितीर्थ के जल का कुल घुलित ठोस (टीडीएस) 1200 था। प्लांट लगने के बाद टीडीएस की मात्रा 350 रह गई है। टीडीएस की यह मात्रा शुद्ध जल की मानी जाती है। समिति इस जल को भी आरओ के माध्यम से न्यूनतम 80 से 100 टीडीएस में तब्दील कर भगवान महाकाल के अभिषेक के लिए उपयोग कर रही है।
मछलियों और जलीय जीवों को कोई खतरा नहीं
जलविद् डा. दुष्यंत के अनुसार कोटितीर्थ कुंड में 14 लाख रुपये की लागत से ओजोनेशन प्लांट स्थापित किया था। इस प्लांट में 64 डिफ्यूजर तथा दो ब्लोअर लगे हैं। कोटितीर्थ कुंड के जल को शुद्ध रखने के लिए प्रति घंटे जल में 81.3 क्यूबिक मीटर आक्सीजन तथा 20 मिली ग्राम ओजोन का डोज दिया जा रहा है। इस मिश्रण से जल पूर्णत: शुद्ध रहता है। इससे कोटितीर्थ कुंड की मछलियों को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं रहता है। बल्कि जलीय जीवों को पनपने के लिए प्रचुर मात्रा में आक्सीजन मिलती है।
फिल्टर का काम करती हैं मछलियां
मत्स्य विभाग के अधिकारी व सहायक प्रशासक प्रतीक द्विवेदी ने बताया कोटितीर्थ कुंड में तिलापिया व गंबूसिया मछली प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं। इस प्रजाति की मछलियों को बायोलाजिकल फिल्टर कहा जाता है। तिलापिया प्रजाति की मछली पानी में मौजूद गंदगी को खाती है। इससे पानी शुद्ध होता है तथा दुर्गंध नहीं आती है। इसी प्रकार गंबूसिया मछली मच्छरों के लार्वा का भक्षण करती है।
इससे जल में मच्छर पनपने की समस्या खत्म हो जाती है। कोटितीर्थ कुंड की सफाई के दौरान मत्स्य विभाग के सहयोग से करीब छह क्विंटल मछलियों को शिप्रा नदी में छोड़ा गया है। कुंड में अब भी मछलियां मौजूद हैं। प्रजनन के बाद इनकी संख्या में अपने आप इजाफा होगा। प्रतिवर्ष जब भी कुंड की सफाई की जाती है, मछलियों को शिप्रा नदी में छोड़ा जाता है।
रंग-रोगन के बाद दमकने लगा मंदिर परिसर
महाकाल मंदिर समिति कोटितीर्थ कुंड की सफाई के साथ परिसर का रंग-रोगन भी करा रही है। रंगाई-पुताई के बाद परिसर दमकने लगा है। जल्द ही गर्भगृह में दीवारों पर लगी चांदी तथा रुद्र यंत्र की सफाई का काम भी शुरू होगा।
हमेशा शुद्ध रहेगा कोटितीर्थ का जल
ओजोनेशन प्लांट लगाने से कोटितीर्थ कुंड का जल हमेशा शुद्ध रहेगा। इस प्लांट को लगाने के चार फायदे हैं। पहला एयर डिफ्यूजर से पानी में बुलबुले बनते हैं, इससे पानी में ताजी हवा घुलती है। ओजोन गैस से पानी में बैक्टिरिया खत्म हो जाते हैं, इससे पानी पेयजल में उपयोग होने जितना साफ हो जाता है। तीसरा आक्सीजन के प्रवाह से पानी उपयोगिता के मापदंडों पर खरा होता है, जलीय जीवों के जीवित रहने के लिए भी यह आवश्यक है।