उज्जैन पुलिस ने गुरुवार को नकली नोट बनाने और चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर 5 लाख 20 हजार रुपए के नकली नोट जब्त किए हैं। आरोपियों के पास से नोट छापने का सामान भी बरामद हुआ है। पकड़े गए आरोपियों में एक ट्रेवल एंड वेलफेयर डिपार्टमेंट के रिटायर्ड कमिश्नर का बेटा भी है। आरोपी नकली नोटों को कोडवर्ड में सैंडविच कहते थे।
1 सितंबर को अमरदीप नगर स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान संचालक होरीलाल प्रजापति को एक ग्राहक दुर्गेश ने वॉशिंग मशीन और मोबाइल खरीदने के लिए 23 हजार रुपए के नकली नोट दिए थे। दुकानदार को 100 और 200 रुपए के नोट संदिग्ध लगे। इसके बाद उसने पुलिस को इस बारे में बताया।
एसपी प्रदीप शर्मा के अनुसार पूछताछ में दुर्गेश ने खुलासा किया कि उसके दोस्त शुभम कड़ोदिया ने उसे प्रहलाद और कमलेश से संपर्क करवाया था। ये दोनों ढांचा भवन में रहते हैं और 30 प्रतिशत कमीशन पर नकली नोट देते थे। दुर्गेश, शुभम और शेखर ने दो महीने पहले 90 हजार रुपए देकर 3 लाख के नकली नोट खरीदे थे। तीनों ने एक-एक लाख रुपए के नकली नोट आपस में बांट लिए थे।
पुलिस ने आरोपियों से सीपीयू, कलर प्रिंटर, पेपर, स्केल, केमिकल और मोबाइल फोन जब्त किए हैं। मामले में पुलिस ने दुर्गेश के साथियों शुभम और शेखर को भी गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने माधवनगर थाने में बीएनएस एक्ट की धारा 178, 179, 180 के तहत मामला दर्ज किया है। शेखर आर्किटेक्ट है और ट्रेवल एंड वेलफेयर डिपार्टमेंट के रिटायर्ड कमिश्नर महेश यादव का बेटा है।

जेल में बनी थी नकली नोट खपाने की योजना एसपी शर्मा ने बताया कि पुलिस ने नकली नोट तैयार करने वाले आरोपी कमलेश के ढांचा भवन स्थिति गोडाउन पर दबिश देने पर कमलेश और प्रहलाद यहीं मिले। पूछताछ करने पर आरोपी कमलेश व प्रहलाद ने बताया गया कि वह दोनों एनडीपीएस के प्रकरण में भेरूगढ़ जेल बंद थे, जहां उनकी मुलाकात सुनील पिता बाबूराव पाटिल से हुई थी। वह नकली नोट के प्रकरण में पूर्व से जेल में सजा काट रहा था। सुनील ने उन्हें बताया था कि वह नकली नोट बनाता है। जब भी जेल से बाहर आएगा वह नकली नोट बना कर कमलेश और प्रहलाद को देगा जो बाजार में नकली नोट खपाने का काम करेगें। इससे तीनों को अच्छा मुनाफा होगा। जेल से छुटने के बाद सुनील ने उन्हें नकली नोट बनाना सिखाया। नोट छापने के बाद कमलेश ने दुर्गेश,शुभम और शेखर को 30 प्रतिशत के हिसाब से 1,1 लाख रुपए दिए।
आरोपियों के खिलाफ पहले से प्रकरण दर्ज
वर्ष 2019 में चिमनगंजमंडी थाने द्वारा कमलेश के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसमें न्यायालय द्वारा 10 वर्ष की सजा दी गई है।
प्रहलाद को एसटीएफ द्वारा वर्ष 2018 में एनडीपीएस के प्रकरण में जेल में बंद किया गया था। उसे 10 वर्ष की सजा न्यायालय द्वारा दी गई है।
आरोपी सुनील को एसटीएफ द्वारा वर्ष 2020 में नकली नोटो के साथ पकड़ा गया था, जिसमें उसे न्यायालय द्वारा 10 वर्ष की सजा दी गई है। वर्तमान में तीनों ही आरोपी जमानत पर हैं। सुनील फरवरी-मार्च 2025 में जेल से जमानत पर बाहर आया तो उसने कमलेश व प्रहलाद से संपर्क किया था। उसके बाद तीनों ने मिलकर नकली नोट बनाने का काम देवास में शुरू किया। नोटों को बाजार में चलाने के लिए शुभम एवं उसके साथियों को चुना। सुनील फिलहाल देवास जेल में बंद है।