Jabalpur High Court : सिविल न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में तहसीलदार व उपायुक्त ने कैसे किया हस्तक्षेप
हाई कोर्ट ने सिविल न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में तहसीलदार व उपायुक्त द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के रवैये पर जवाब-तलब कर लिया है। इसी के साथ अंतरिम राहत बतौर वसीयत विवाद में यथािस्थति कायम रखने की व्यवस्था दी गई है।
न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता छतरपुर निवासी निमिया सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता शंभूदयाल गुप्ता न कपिल गुप्ता ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि यह मामला वसीयत विवाद का है। याचिकाकर्ता विधि सम्मत वसीयत के आधार पर कृषि भूमि पर खेती से अपने परिवार का भरण-पोषण करते चले आ रहे थे। इसी बीच कुछ गांव वालों द्वारा दुर्भावनावश वसीयत को अवैध करार देते हुए चुनौती दे दी गई। तहसीलदार व उपायुक्त ने इस मामले में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश पारित कर दिया। इसी रवैये को याचिका के जरिये चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट पूरा मामला समझने के बाद तहसीलदार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। इसके लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है।
पत्नी को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने पर सात साल का कारावास : अपर सत्र न्यायाधीश कंचन गुप्ता की अदालत ने पत्नी को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के आरोपित दुर्गानगर, ग्वारीघाट, जबलपुर निवासी टेकचंद चौधरी का दोष सिद्ध होने पर सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अनिल तिवारी ने पक्ष रखा। उन्हाेंने दलील दी कि छह जून, 2016 को आरोपित टेकचंद की पत्नी ज्योति चौधरी ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। 15 वर्ष पूर्व विवाह हुआ था। आरोपित विवाह के बाद से ही शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडित किया करता था। मारपीट से परेशान हो चुकी ज्योति ने एक दिन अपना जीवन खत्म करने का निर्णय ले लिया। तीन बेटी व एक बेटे की मां बनने के बावजूद ज्योति अपने पति के व्यवहार से बुरी तरह आहत थी। मृत्युपूर्व कथन में यह बात रेखांकित हुई। पुलिस ने इसी आधार पर आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का अपराध पंजीबद्ध किया। अदालत ने सभी तर्क सुनने के बाद दोष सिद्ध पाकर सजा सुना दी।