दोपहर होते ही बढ़ी भीड़, बजे मांदल
भगोरिया मेले के पहले लगने वाले हाट-बाजार को त्योहारिया कहा जाता है। इस शनिवार हाट-बाजार के दिन बाजार में सुबह भीड़ कम थी। दोपहर होते-होते भीड़ बढ़ गई। त्योहारिया हाट-बाजार में ग्रामीण आकर भगोरिया मेले की खरीददारी शुरू हो जाती है, लेकिन त्योहारिया हाट-बाजार होने के बावजूद व्यापारियों का व्यापार में मंदी रही अपेक्षा अनुरूप नहीं चला। जबकि कोरोना की गाइड लाइन भी सभी खत्म हो गई। यह कोरोना भी अब भगोरिया को लेकर आड़ नहीं आएगा।
प्राचीनकाल से चला आ रहा पारंपरिक पर्व भगोरिया इस वर्ष अपने पूरे शबाब पर रहेगा। सभी तरह के प्रतिबंध से मुक्त रहेगा। खास बात तो यह हे कि भगोरिया मेले के लिए न तो किसी से अनुमति लेना पड़ती है और न ही सूचना देना पड़ती। साप्ताहिक हाट-बाजार के दिन ही भगोरिया मेला लगता है। होली एक सप्ताह पहले भगोरिया मेला लगना आरंभ हो जाते हैं। उसके एक सप्ताह पहले से त्योहारिया हाट लगना शुरू हो जाते हैं। इस तरह अंचल मे दो सप्ताह तक व्यापारियों को व्यापार चलते हैं।
छह स्थानों पर भगोरिया मेले लगेंगे
– 12 मार्च शनिवार को रानापुर का भगोरिया मेला
– 13 मार्च रविवार को ढोल्यावाढ
– 14 मार्च सोमवार कुंदनपुर
– 15 मार्च मंगलवार अंधारवड़
– 16 मार्च बुधवार कंजावाणी
– 17 मार्च गुरुवार समोई को अंतिम भगोरिया मेला रहेगा
विशेष या स्पेशल ट्रेन चलाना चाहिए
भगोरिया मेले मे शामिल होने के लिए झाबुआ, आलीराजपुर, धार सहित अनेक जिले के ग्रामीण भगोरिया मेले में शामिल होने के लिए हजारों किलोमीटर की दूरी और जैसे-तैसे यात्री बसों में बैठकर अधिक पैसा देकर आते हैं। शासन को चाहिए कि ग्रामीणों के पर्व को देखते हुए। पलायन वाले स्थान से झाबुआ जिले तक भगोरिया पर्व को देखते हुए विशेष ट्रेन व स्पेशल ट्रेन चलाना चाहिए। ताकि समय व पैसे दोनों की बचत हो।
हाट-बाजार मे मांदल की धुन सुनाई दी
भगोरिया मेले के पहले लगने वाले त्योहारिया शनिवार हाट-बाजार में ग्रामीण मांदल लेकर साथ आए और मांदल बजाते देखा गया। मांदल की धुन से भगोरिया मेले की नजदीक आने के संकेत शुरू हो गए।