भोपाल वन विहार से बुरी खबर:नहीं रही लेपर्ड पिंकी, नम आंखों से अंतिम विदाई
भोपाल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में लगभग एक साल से रह रही मादा तेंदुआ ‘पिंकी’ की शनिवार रात मौत हो गई। उसे 22 मई 2021 को सिवनी के पेंच टाइगर रिजर्व से यहां लाया गया था। जब उसे भोपाल वन विहार लाया गया तो उसकी उम्र लगभग 2-3 माह थी। उसकी तबियत भी ठीक नहीं थी और हालत काफी नाजुक थी।वन्यप्राणी चिकित्सक और सहयोगी टीम ने उसका इलाज किया। लगभग 8 महीने तक चले इलाज के बाद पिंकी पूरी तरह स्वस्थ हो गई थी। जब पिंकी यहां आई थी तो वो ठीक से दूध भी नहीं पी पाती थी। लेकिन वन विहार की टीम के लाड-दुलार और सेवा ने उसे पूरी तरह ठीक कर दिया था।इसके बाद उसे वन विहार के लेपर्ड रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था। चंद महीनों में ही पिंकी जू कीपर्स से घुल-मिल गई थी। वह अक्सर जू कीपर्स के साथ खेला-कूदा करती थी। स्वभाव से चंचल ये मादा तेंदुआ वन विहार में आने वाले पर्यटकों और खासकर बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र थी।दूर-दूर से लोग इस मादा तेंदुआ को देखने के लिए आते थे। 7 मई की शाम तक वह पूरी तरह स्वस्थ थी। लेकिन 7-8 मई की दरमियानी रात में अज्ञात कारणों से उसकी मौत हो गई। वन विहार के कर्मचारियों की दुलारी ‘पिंकी’ लगभग 1 साल तक जीवित रह सकी।रविवार सुबह लगभग साढ़े 7 बजे जू कीपर्स रेगुलर इंस्पेक्शन के लिए पिंकी की हाउसिंग की तरफ गए तो वो उन्हें मृत अवस्था में मिली। जिसके बाद जू कीपर्स ने तुरंत वन्यप्राणी चिकित्सक और अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। निरीक्षण के बाद वन्यप्राणी चिकित्सक ने मादा तेंदुआ ‘पिंकी’ को मृत घोषित कर दिया।इसके बाद पिंकी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। पिंकी के जाने के बाद अब उसका बाड़ा सूना हो गया है। रह-रहकर कर जू कीपर्स को ‘पिंकी’ की याद आती है। इतने समय तक पिंकी का ध्यान रखने से जू कीपर्स का पिंकी से भावनात्मक लगाव हो गया था। पिंकी के इस तरह चले जाने से वन विहार में शोक का माहौल है।पिंकी की मौत का कारण पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने पर ही पता चल सकेगा। इस मादा तेंदुआ की मौत के बाद अब भोपाल वन विहार में 11 तेंदुए बचे हैं।