मध्यप्रदेश में मानसून के दौरान जमीन पर सोना जानलेवा हो सकता है। रायसेन निवासी 5 वर्षीय मासूम इसी लापरवाही का शिकार हो गया। बच्चा रात में घर की जमीन पर सो रहा था, तभी एक 6 फीट लंबा कोबरा उसे डस गया। रोने की आवाज सुनकर परिजन जगे तो उन्होंने सांप को बच्चे के पास देखा। वे तुरंत बच्चे को लेकर पहले रायसेन जिला अस्पताल पहुंचे। वहां बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए उसे हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया गया।
यह घटना 21 जुलाई की रात करीब 3 बजे की है। सुबह 5 बजे बच्चा हमीदिया अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचा। तब तक जहर पूरे शरीर में फैल चुका था। आंखें बंद थीं और सांसें भी अटक रही थीं। तत्काल पीडियाट्रिक विभाग की टीम को बुलाया गया और करीब 7 घंटे की मशक्कत के बाद बच्चे की हालत में सुधार आया। डॉक्टरों ने भी राहत की सांस ली।
झाड़-फूंक में जाते तो नहीं बचता बच्चा
स्टाफ के अनुसार, पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी डॉ. मंजूषा गोयल ने सबसे पहले करीब दोपहर 12 बजे कक्ष से बाहर आकर परिजनों को बताया कि बच्चे की स्थिति में सुधार आया है। लेकिन, अगले 72 घंटे बेहद क्रिटिकल होंगे। उन्होंने परिजनों की सराहना करते हुए कहा कि आपने सही फैसला लिया कि झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़कर बच्चे को सीधे अस्पताल लाए, नहीं तो इस मासूम को बचाना नामुमकिन हो जाता।
लगे 40 एंटी वेनम वॉयल रायसेन जिला अस्पताल में बच्चे को तत्काल 10 वॉयल एंटी स्नेक वेनम दिया गया था, जिससे जहर का असर धीमा पड़ा। हमीदिया पहुंचने के बाद इलाज के दौरान 30 वॉयल और दिए गए। इसके बाद बच्चे की सांसें नियंत्रित हुईं और हालत में सुधार हुआ।
5 दिन रहा वेंटिलेटर पर बच्चे को 5 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। इस दौरान उसे इंजेक्शन एट्रोपिन, नियोस्टिगमीन, एंटीबायोटिक्स, फ्लूइड्स और एंटी-एपिलेप्टिक्स सहित सपोर्टिव केयर दी गई। चौथे दिन से उसे लिक्विड डाइट दी गई और गुरुवार को उसने सामान्य खाना भी शुरू कर दिया।
चिकित्सकीय टीम इस केस में पीडियाट्रिक विभाग की डॉ. मंजूषा गोयल (एचओडी), डॉ. शर्मिला रामटेके, डॉ. राजेश पाटिल, डॉ. अंकित दशोरे, डॉ. विष्णु प्रसाद और डॉ. पूनम सहित मेडिकल स्टाफ की अहम भूमिका रही।
43 सर्पदंश मरीज पहुंचे हमीदिया इस साल अब तक हमीदिया अस्पताल में 43 सर्पदंश मरीज पहुंचे हैं। इनमें से 30% की हालत क्रिटिकल थी, जिनमें से अधिकांश पहले झाड़-फूंक के चक्कर में पड़े और तब अस्पताल पहुंचे।
11 ने झाड़-फूंक कराया, सभी की मौत हुई एम्स की एक स्टडी में सर्पदंश की 15 मौतों का विश्लेषण किया गया। इसमें सामने आया कि 11 लोगों ने इलाज से पहले झाड़-फूंक का सहारा लिया था। वहीं, कुल 15 में से 11 महिलाएं और 4 पुरुष शामिल थे। एक व्यक्ति ने आधे घंटे में दम तोड़ दिया, जबकि एक ने 20 घंटे तक संघर्ष किया।
सर्पदंश पर क्या करें?
गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. कविता एन. सिंह के अनुसार, सर्पदंश की स्थिति में उस अंग को स्थिर रखें। तार या रस्सी नहीं बांधें और झाड़-फूंक में समय न गंवाएं। जितनी जल्दी इलाज मिलेगा, उतना बेहतर परिणाम आएगा।
ढाई हजार से ज्यादा मौतें हर साल मप्र में हर साल सांप के काटने से 2500 से अधिक लोगों की मौत होती है। 2020 से 2024 के बीच करीब 10,700 मौतें दर्ज की गईं और पीड़ित परिवारों को 427 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया। यह राशि इतनी है कि एक 5 मंजिला स्पेशियलिटी अस्पताल तैयार हो सकता है।