ककड़ी खाने से भाई के बाद बहन की भी मौत
रतलाम में बालम ककड़ी खाने के बाद एक ही परिवार के 5 लोग बीमार हो गए थे। मामले में पांच साल के बच्चे की मौत के बाद अब 8 साल की बच्ची की भी मौत हो गई है। परिजन इलाज के लिए एम्बुलेंस से गुजरात के वड़ोदरा लेकर जा रहे थे। तभी रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। परिजन उसे दाहोद के हॉस्पिटल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में परिजनों ने रतलाम मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया।
बता दें कि रतलाम के जड़वासा कलां गांव में रहने वाले मांगीलाल पाटीदार (36) सोमवार शाम सैलाना-धामनोद रोड से बालम ककड़ी खरीदकर लाए थे। मंगलवार शाम मांगीलाल ने पत्नी कविता, बेटी दक्षिता (11), साक्षी (8) और बेटे क्रियांश (5) के साथ मिलकर बालम ककड़ी खाई। बुधवार सुबह करीब 5 बजे सभी को उल्टियां होने लगीं तो वे प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने दवा देकर घर लौटा दिया।
बुधवार रात 3 बजे कविता, बेटी दक्षिता, साक्षी और बेटे क्रियांश को फिर उल्टियां होने लगीं। परिजन चारों को लेकर मेडिकल अस्पताल पहुंचे। यहां सुबह 4 बजे डॉक्टरों ने क्रियांश को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद मां कविता को रतलाम के मेडिकल कॉलेज के सामान्य वार्ड में तो दोनों बेटियों को आईसीयू में एडमिट किया था।
आज 8 साल की साक्षी ने तोड़ा दम छोटी बेटी साक्षी (8) के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर परिजनों ने मेडिकल कॉलेज से बाहर सोनोग्राफी कराई। रिपोर्ट में किडनी में इंफेक्शन आया। तत्काल वड़ोदरा ले जाने को कहा। शनिवार को परिजनों ने मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कराया। दोपहर 12.30 बजे के करीब कार्डियक एम्बुलेंस से वह वड़ोदरा के लिए रवाना हुए।
लेकिन दाहोद से 5-7 किमी दूर पहुंचे ही थे कि रास्ते में बच्ची की तबीयत बिगड़ गई। एम्बुलेंस स्टाफ ने तुरंत दाहोद के हॉस्पिटल के लिए एम्बुलेंस पलटाई। हॉस्पिटल लेकर गए वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजन रविवार सुबह पीएम कराकर दोपहर में गांव पहुंचे। बच्ची का अंतिम संस्कार किया।
परिजनों बोले- मेडिकल कॉलेज में ध्यान नहीं दिया गया मृत बच्ची के काका रवि पाटीदार ने रतलाम मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चार दिन भतीजी मेडिकल कॉलेज में भर्ती रही तो डॉक्टरों ने केवल ब्लड सैंपल ही लिया। लेकिन रिपोर्ट क्या आई, यह नहीं बताया। हमने हमारे स्तर पर बाहर सोनोग्राफी कराई। जिसमें किडनी में इन्फेक्शन बताया। तुरंत वड़ोदरा ले जाने को कहा। अगर समय पर सभी जांच कराते तो आज हमारी भतीजी हमारे साथ होती।
परिवार के सदस्य रतलाम जनपद सदस्य सुरेश पाटीदार ने कहा कि इतना बड़ा मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद सोनाग्राफी की व्यवस्था नहीं है। बार-बार डॉक्टरों को सारी जांच करने को कहा। लेकिन वह केवल ब्लड सैंपल ही लिए। लेकिन रिपोर्ट के बारे में नहीं बताया। हम सोमवार को कलेक्टर से शिकायत करेंगे।
इंदौर रेफर किया- मेडिकल कॉलेज अधीक्षक रतलाम मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. प्रदीप मिश्रा का कहना है कि बच्ची की पल्स रेट बढ़ रही थी। बीपी डाउन हो रहा था। जो मेडिसिन दी जा रही थी वह बॉडी के कंट्रोल में नहीं आ रही थी। बच्ची की हालत को देखते हुए प्रॉपर गाइड लाइन अनुसार इलाज किया। शनिवार सुबह इंदौर एमवायएच के लिए रेफर किया। परिजन वहां लेकर नहीं गए। अल्ट्रासाउंड जांच को लेकर हमारे पास रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। आरोप निराधार हैं।
ऐपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव बोरीवाल का कहना है कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के ब्लड सैंपल लिए थे। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा प्रॉपर इलाज किया गया। घर से पानी व खाने का भी सैंपल सीएमएचओ की टीम द्वारा लिया गया। रिपोर्ट आना बाकी है। यह स्थिति क्यों बनी, इस बारे में मेडिकल कॉलेज से जानकारी ली जाएगी।