फरार अक्षय बम को इंदौर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत नहीं
लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस से भाजपा में आए फरार भाजपा नेता अक्षय कांति बम को हाई कोर्ट से फिर राहत नहीं मिल सकी। शुक्रवार को अग्रिम जमानत याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई हुई, जो अब आगे बढ़ा दी गई है। नई तारीख 29 मई तय की है। इधर, एक अन्य कोर्ट में धारा 307 लगाने के खिलाफ अक्षय द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई बाकी है।
दरअसल, 17 साल पुराने जमीन विवाद के केस में ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ 24 अप्रैल को धारा 307 बढ़ाने के आदेश दिए थे। सुनवाई से गैरहाजिर रहने पर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया गया। इसी मामले में अक्षय बम ने दो अलग-अलग अदालतों में याचिकाएं दायर कर रखी हैं। हाई कोर्ट से इस केस में अग्रिम जमानत मांगी थी जबकि ट्रायल कोर्ट से धारा 307 लगाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की है। दोनों में सुनवाई के लिए 24 मई तय हुई थी। अग्रिम जमानत याचिका पर तारीख बढ़ गई है। जबकि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई बाकी है।
बता दें कि धारा 307 लगाए जाने के बाद अक्षय ने इंदौर सेशन कोर्ट में भी अग्रिम जमानत आवेदन लगाया था जो खारिज हो चुका है। उसी के बाद हाई कोर्ट का रूख किया था, वहां दूसरी बार सुनवाई आगे बढ़ गई है। अब हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 29 मई को होगी।
पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कुछ देर में
17 साल पुराने केस में अपने ऊपर धारा 307 बढ़ाने जाने को अक्षय ने चुनौती दी है। इसके लिए ट्रायल कोर्ट में ही पुनर्विचार याचिका दायर कर निवेदन किया है। इस पर ट्रायल कोर्ट में सुनवाई कुछ देर में हो सकती है।
17 साल पहले खजराना के जमीन विवाद में फायरिंग के हैं आरोप
2007 के जमीन विवाद से जुड़े मामले के फरियादी युनूस पटेल के खेत पर विवाद हुआ था। इसमें फायरिंग, बलवा आदि के आरोप थे। पुलिस ने सिर्फ हमला, मारपीट और धमकाने की रिपोर्ट दर्ज की थी। आरोप हैं कि यूनुस पर गोली भी चलाई गई थी, लेकिन खजराना पुलिस ने FIR में हत्या के प्रयास की धारा नहीं जोड़ी थी।इसी के खिलाफ युनूस ने ट्रायल कोर्ट में आवेदन दिया था। पिछले महीने 24 अप्रैल को फरियादी की गुहार पर आरोपी अक्षय बम, उनके पिता कांति व अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 307 यानी प्राणघातक हमले की धारा बढ़ा दी गई और 10 मई को पेश होने के आदेश दिए थे।
नामवापसी के बाद यह पहली तस्वीर 29 अप्रैल के बाद सोशल मीडिया पर वायरल है। इसी पोस्ट के बाद सबको पुष्टि हुई थी कि अक्षय बम ने नाम वापस ले लिया है और भाजपा में आ रहे हैं।
कोर्ट आने के बजाय बीजेपी नेताओं के साथ घूमते अक्षय
अक्षय और उनके पिता ट्रायल कोर्ट में 10 मई को गैरहाजिर रहे। सामाजिक और बीमारी का कारण बताकर दोनों ने हाजिरी माफी मांगी थी। ट्रायल कोर्ट ने आवेदन खारिज कर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के आदेश हैं लेकिन 14 दिन बाद भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई है। इसके उलट, पुलिस ने थाने के बजाय लाइन से अलग बल भेजकर अक्षय बम को सुरक्षा मुहैया करा रखी है। इस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
धारा 307 बढ़ी तो पांचवें दिन मंत्री के साथ जाकर नामवापस लिया
दरअसल, अक्षय बम को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट दिया था। वे चुनाव प्रचार भी करते रहे। लेकिन नामांकन के दौरान 24 अप्रैल को उनके खिलाफ धारा 307 बढ़ गई। इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम हुआ और अक्षय ने 29 अप्रैल को भाजपा विधायक और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला के साथ जाकर चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया। ऐन मौके पर नामवापसी हो जाने के कारण कांग्रेस इंदौर के चुनाव से पूरी तरह बाहर हो गई।
मंत्री विजयवर्गीय कह चुके- इनको लाने का मेरा कोई प्लान नहीं था
इंदौर जैसी मजबूत लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को भाजपा में मिलाने के आरोप मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पर लगे थे। इस पर उन्होंने कहा था- ‘कुछ भी प्लान नहीं था। अचानक सब कुछ हुआ। मैं फॉर्म वापस करवाने गया भी नहीं था। मैं तो रास्ते में मिला था, क्योंकि कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया था इसलिए मैं पहुंचा और हम लोगों ने बात की। बता दें कि नामवापसी के बाद अक्षय मंत्री की ही कार में घूमे थे। नामवापसी की जानकारी भी मंत्री विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ने ही सोशल मीडिया पर शेयर की थी।