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Bhagwat Katha : खेली फूलों की होली, धूमधाम से रचाया रुक्मणी जी का ब्याह

शहर के ओल्ड सुभाष नगर स्थित श्री शक्ति मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन महारास, फूलों की होली तथा रुक्मण्ाी जी का विवाह रचाया गया। दर्शकों और श्रोताओं का अद्भुत प्रेम कथा के प्रति नजर आया। भाव-विभोर होकर भक्तों ने नृत्य किए। पंडित नवीनचंद्र शास्त्री ने प्रवचन दिए। भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि सांदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, ऊधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना। द्वारका की स्थापना एवं रुक्मण्ाी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। कथा के दौरान आचार्य ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा और परमात्मा का मिलन हुआ। आचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि रुकमण्ाि साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर नहीं रह सकतीं। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक, नहीं तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। शास्त्रीजी ने भगवान की अन्य शादियों का भी उल्लेख किया तथा बताया कि इस तरह उन्होंने अपने पूर्व के अवतारों के भक्तों की अपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति की।

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सोमवार को कथा लेगी विराम, महाप्रसादी का होगा वितरण

शक्ति उत्सव समिति के इस कार्यक्रम के संयोजक सुशील कौशिक एवं श्रीमती मंजूश्री नगीन बारकीया के अनुसार सोमवार को कथा का विराम हो जाएगा। इस अंतिम दिन कथा ठीक तीन बजे से आरंभ हो जाएगी। कौशिक ने बताया कि कथा के तुरंत बाद महाप्रसाद वितरित होगा। कथा का आयोजन कोरोना के दौरान हमारा साथ छोड़ गई स्व. दुलारी कौशिक एवं उनके बेटे स्व. प्रवीण कौशिक की स्मृति में कौशिक परिवार द्वारा किया जा रहा है।

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