भाजपा संगठनात्मक कामकाज में बाकी राज्यों से आगे रहने वाला मप्र जिलाध्यक्षों के चयन में पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश से पिछड़ गया है। छग और हिमाचल ने रविवार को जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी। मप्र में कहा गया था कि 5 जनवरी तक जिलाध्यक्ष बना दिए जाएंगे, लेकिन बड़े नेताओं के करीबियों को लेकर बने दबाव ने उलझन बढ़ा दी है।
हालांकि, रविवार देर रात तक नामों को लेकर कवायद चलती रही। सूत्रों का कहना है कि 30 जिलों के लिए नाम लगभग फाइनल हो गए हैं। रीवा से वीरेंद्र गुप्ता, उज्जैन से संजय अग्रवाल और छिंदवाड़ा टीकाराम चंद्रवंशी का नाम लगभग तय बताया जा रहा है। हरदा, कटनी और रायसेन में अध्यक्ष रिपीट होने की बात सामने आ रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोमवार को एक बार फिर नामों पर मंथन होगा।
सबकुछ ठीक रहा तो पहली सूची सोमवार को या फिर मंगलवार को आ सकती है। प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा इंदौर में हैं। यहां जिलाध्यक्षों के नामों को लेकर कशमकश चल रही है। मौजूदा जिलाध्यक्ष गौरव रणदिवे के रिपीट होने की संभावनाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी कुछ जिलों में सहमति के लिए बात की है। इसी तरह की कशमकश ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर और सागर जिलों में भी हैं।
जहां बड़े नेता किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं। ग्वालियर में पेंच सिंधिया और तोमर खेमों के बीच फंसा है। दोनों ही अपने समर्थकों को लेकर अड़े हुए हैं। ऐसे में एक खेमे को ग्वालियर शहर और दूसरे को ग्वालियर ग्रामीण से संतोष करना पड़ेगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक मप्र की सूची दो से तीन हिस्सों में आ सकती है। सोमवार को 35 से 40 जिलों के अध्यक्षों के नाम घोषित होने की संभावना है। जिन जिलों में अभी सहमति नहीं बन पाई है, उनके नामों पर दोबारा मंथन के बाद अलग से जारी किया जाएगा।
मप्र में प्रदेशाध्यक्ष चुनाव के लिए भाजपा ने केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रदान को जिम्मेदारी सौंपी है। प्रधान का 10 से 15 जनवरी के बीच भोपाल दौरा प्रस्तावित है।

प्राइवेट एजेंसी से प्रोफाइलिंग सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक प्राइवेट एजेंसी से हर जिले के पैनल में शामिल नेताओं की प्रोफाइलिंग कराई है। इसमें उनके निवास स्थान के आस-पड़ोस में छवि, आपराधिक पृष्ठभूमि समेत कई जानकारियां हैं।