परिवहन की चेक पोस्ट चौकियां बंद, बेरोजगार हुए प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी
सूबे की मोहन सरकार ने मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग की चेक पोस्टों को खत्म कर दिया है। जिसके बाद चेक पोस्ट पर काम करने वाले प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों को अब आर्थिक भार से जूझना पड़ रहा है। सरकार के इस तानाशाही फैसले से चेक पोस्ट चौकिया पर काम करने वाले प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों में जमकर आक्रोश उबर पड़ा है। उनका कहना है कि आरटीओ और परिवहन विभाग को इस फैसले से कोई नुकसान नहीं हुआ। यह नुकसान प्राइवेट कंपनी में चेक पोस्ट पर दिन रात मेहनत करने वाले ऑपरेटर सुपरवाइजर क्लीनर जैसे आदि कर्मचारियों का हुआ है। कर्मचारियों को कहना है सरकार को पूर्ण विचार करके यह फैसला लेना चाहिए था। सरकार के इस फैसले से हम हमारे परिवार का भरण पोषण अब कैसे करेंगे।
चेक पोस्ट कर्मचारियों की मांग सरकार हमारी नौकरी की व्यवस्था करें….
चेक पोस्ट बंद होने के बाद कई सालों से नौकरी करने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटर अब बेरोजगार हो चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार हमारे बारे में कुछ सोचे क्योंकि इस उम्र में हम अब कहां नौकरी तलाश करने जाएंगे। यदि सरकार अपने फैसले पर विचार विमर्श नहीं करती है तो पूरे प्रदेश के चेक पोस्ट कर्मचारी उग्र आंदोलन की तैयारी करेंगे।
यह पूरा मामला…
सीएम डॉ. मोहन यादव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश भर के अधिकारी-कर्मचारियों से कहा कि सुशासन के अंतर्गत कई काम किए जा रहे हैं। इस नाते परिवहन क्षेत्र में मध्यप्रदेश में कुछ बदलाव किए गए हैं। चेक पोस्ट संबंधी नई व्यवस्था लागू की जा रही है। एक जुलाई से परिवहन चेक पोस्ट जो अन्य प्रांतों की सीमा हैं वहां संबंधित जिला प्रशासन के साथ तालमेल कर वर्तमान में हो रही अव्यवस्थाओं को दूर करने और पारदर्शी व्यवस्था लागू करने का कदम उठाया गया है।
सीएम ने कहा- परिवहन व्यवस्था के संबंध में शिकायतें मिलने पर राज्य शासन सख्त कार्रवाई करेगा। नई व्यवस्था से ट्रकों और अन्य भारी वाहनों के संचालकों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी। शिकायतों को दूर कर साफ सुथरे ढंग से परिवहन विभाग के मूल कार्य को बेहतर ढंग से संचालित करने के इंतजाम किए गए हैं। सीमावर्ती जिलों में नई व्यवस्था में उड़न दस्ते कार्य करेंगे। बाहरी वाहनों के संचालकों को कोई समस्या नहीं आएगी।