भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से पीथमपुर में निष्पादन के लिए कचरा ले जाने का विरोध तेज हो रहा है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के नेता इस कचरे को पीथमपुर में जलाने का विरोध कर रहे हैं। इस मामले पर हो रही राजनीति को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाब दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सुझावों के आधार पर हमने भोपाल से यूनियन कार्बाइड का लगभग 358 टन कचरा, जिसमें 60% से अधिक स्थानीय मिट्टी और 40% केमिकल से जुड़े अपशिष्ट पदार्थ हैं, उसे पीथमपुर भेजा है। यह कचरा मुख्यतः कीटनाशक बनाने में उपयोग होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका जहरीलापन 25 साल में लगभग खत्म हो जाता है।
घटना को 40 साल हुए, सभी आशंकाएं निराधार
डॉ. यादव ने कहा, “इस घटना को 40 साल हो चुके हैं। इस दौरान कचरा भोपाल में ही रहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कई आशंकाएं निराधार हैं। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस कचरे के निपटान को लेकर गहन परीक्षण किए गए हैं।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार की विभिन्न संस्थाओं जैसे नीरी (नेशनल एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, नागपुर), नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी और केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय पर किए गए अध्ययन और सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत किए गए सभी प्रतिवेदन शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2013 में केरल के कोच्चि में 10 टन कचरे का ट्रायल रन किया गया था। इसके बाद, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 10 मेट्रिक टन कचरे पर ट्रायल की अनुमति दी, जिसे पीथमपुर में जलाया गया।
इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई गई और सभी रिपोर्ट्स सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की गईं। अगस्त 2015 में यह ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रायोजित निपटान की सभी रिपोर्ट पुनः सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने प्रस्तुत की थीं।
रिपोर्ट्स से साबित, वातावरण को नुकसान नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा, “इन सारी रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई कि इस कचरे के निपटान से वातावरण में किसी प्रकार का नुकसान स्पष्ट नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी रिपोर्ट्स के गहन परीक्षण के बाद ही आगे बढ़ाने और इस कचरे को नष्ट करने के लिए निर्देशित किया।”
मुख्यमंत्री ने बताया कि आसपास के गांवों के स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, फसल की उत्पादकता पर प्रभाव और जल स्रोतों के परीक्षण में यह पाया गया कि इस प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया, नुकसान या नकारात्मक परिणाम नहीं आए।
डॉ. यादव ने कहा कि इस कचरे के निपटान की पूरी प्रक्रिया में शासन ने गंभीरता और पारदर्शिता रखते हुए वैज्ञानिक मार्गदर्शन के तहत ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, “सालों पुरानी इस परेशानी से निपटने के लिए हमने यह सुनिश्चित किया कि सभी आवश्यक परीक्षण और रिपोर्ट्स के आधार पर ही निर्णय लिए जाएं।”
इस मुद्दे का राजनीति न करें
पूरे प्रदेश में कहीं भी किसी प्रकार का कष्ट न हो यह सब हमारे लिए विषय होता है। इसलिए हमने यहां के बाद दोपहर में उन सभी लोगों को विश्वास में लेकर चले और सारी जानकारी पारदर्शिता के साथ सामने रखें।
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण न करने की अपील की। उन्होंने कहा कि तत्कालिक राजनीति के बजाय हमें दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने धार के प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से इस मामले पर जनप्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने का निर्देश दिया है।