नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर ने कोरोना काल में बिजली दर बढ़ाए जाने के खिलाफ नए सिरे से आवाज बुलंद कर दी है। इसके तहत राज्य सरकार को लीगल नोटिस भेज दिया गया है। इससे पूर्व भी यह कदम उठाया गया था। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा था। लेकिन दाम नियंित्रत रखने की दिशा में गंभीरता नदारद है। इससे आम जनता पर बोझ पड़ने की आशंका खड़ी हो गई है। नागरिक उपभोक्ता मार्गर्शक मंच, जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डा.पीजी नाजपांडे व नयागांव, जबलपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव ने बताया कि विद्युत अधिनियम की धारा 108 के तहत राज्य सरकार के पास अधिकार है कि वह चाहे तो विद्युत नियामक आयोग को परामर्श दे सकती है।
इस धारा का सदुपयोग कर राज्य सरकार अपनी जनता का भला कर सकती है। यदि बिजली दर में इजाफा नहीं होता तो कम बिल आएगा। इससे कोरोना काल में आर्थिक समस्या झेल रही जनता को राहत मिलेगी। दो माह पहले सरकार को भेजे गए पत्र का अब तक जवाब नदारद है। लिहाजा, अब 15 दिन के अल्टीमेटम के साथ नया पत्र भेजा गया है। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने बताया कि यदि इस पत्र को गंभीरता से नहीं लिया गया तो हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाएगी। लाकडाउन के कारण कई नागरिक नौकरी गवां चुके हैं। व्यापार मंदा है। ऐसे में अधिक बिजली का बिल कमर तोड़ देगा। यदि सरकार चाहे तो जनता को राहत दे सकती है। यह सरकार की जिम्मेदारी भी है। ऐसा न होने पर जनांदोलन से इनकार नहीं किया जा सकता।
केंद्र सरकार से भी हस्तक्षेप की मांग करेंगे : डा. नाजपांडे ने कहा कि वे शीघ्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेजेंगे। इसके जरिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को प्रेरित करने की मांग की जाएगी। उत्तर प्रदेश चुनाव के दौर में कम से कम मध्य प्रदेश की जनता को बिजली के बढ़े बिल से निजात मिलनी चाहिए। इससे भारतीय जनता पार्टी के प्रति जनता के मन में सद्भाव बढ़ेगा। आम जनता को राहत मिलनी ही चाहिए। ऐसा न होने पर जनता आंदोलित हो सकती है।