इलाज में लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के करीब 7 महीने बाद भोपाल के काटजू अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर सहित 5 पर टीटी नगर पुलिस ने मामला दर्ज किया है। मृतका अस्पताल में नसबंदी के लिए आई थी। परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया था कि अस्पताल में बिना एनेस्थीसिया के ही ऑपरेशन किया गया। जिसके चलते महिला की मौत हुई। टीटी नगर पुलिस ने, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनंदा जैन, काटजू अस्पताल के अधीक्षक कर्नल पीके सिंह, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, मेडिकल ऑफिसर मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट जीएमसी डॉ. केलू ग्रेवाल और पैरामेडिकल स्टाफ पर एफआईआर दर्ज की है।

आईएमए की गाइडलाइन का उल्लंघन वकील अनिल कुमार नामदेव ने बताया कि लंबी जद्दोजहद के बाद यह एफआईआर हुई है। प्राइवेट शिकायत पर न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज हुआ है। प्रारंभिक स्तर पर पाया कि यह मेडिकल नेग्लिजेंस का केस है। महिला को एनेस्थीसिया दिए बिना ओटी में लेकर गए। वहां उन्हें 1 सेमी का चीरा लगाया। इससे लापरवाही साबित होती है। वह 10 बजे पूरी तरह से स्वस्थ थीं। ऑल ऑफ सडन क्या हो गया कि है वह कोलेप्स हो गई। अभी तक की जानकारी में पाया गया है कि उस समय अस्पताल में दो दो एनेस्थीसिया विशेषज्ञ थे। मगर ओटी में एक भी नहीं गया था। यह आईएमए की गाइडलाइन का उल्लंघन है।

दबाव बनाकर साइन करवा लिए कई पेपर
मामला 14 मई 2024 का है। सिवनी मालवा निवासी रीना गौर (38) नसबंदी ऑपरेशन के लिए काटजू अस्पताल में भर्ती हुई थी। ऑपरेशन थिएटर में ले जाने के 20 मिनट बाद उसकी मौत हो गई। रीना के पति अविनाश गौर के मुताबिक ऑपरेशन से पहले रीना पूरी तरह स्वस्थ थी। जब उसे थिएटर से बाहर लाया गया तो उसका पेट फूला हुआ था। डॉक्टरों और स्टाफ ने गलत जानकारी दी और कहा कि ऑपरेशन के दौरान अटैक आने से रीना की मौत हुई है। उस समय मुझसे कई तरह के पेपर भी दबाव बनवाकर साइन करवाए गए। उसके बाद पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के लिए मना कर दिया। बाद में बहुत जोर लगाने के बाद. बॉडी का पोस्टमॉर्टम हुआ। जिसमें हमने विसरा प्रिजर्व करने की मांग की। वह भी पुलिस और डॉक्टर ने नहीं किए। अविनाश ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से भी की थी।