पेशेंट की मौत पर डॉक्टर पर तीने महीने बाद FIR
खंडवा में डॉक्टर व अस्पताल संचालक की लापरवाही ने एक मासूम पेशेंट की जान ले ली। 11 वर्षीय बालक के पिता की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। श्रीमाली अस्पताल के संचालक डॉक्टर अभिषेक श्रीमाली के खिलाफ पुलिस ने इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज किया है। डॉक्टर पर एफआईआर के लिए बालक के पिता ने 3 महीने तक संघर्ष किया।
डॉक्टर ने कहा था- एक-दो दिन में ठीक हो जाएगा
सर्वोदय कॉलोनी निवासी सुधीर रघुवंशी बताते है कि 11 साल का समर्थ उनका इकलौता बेटा था। हल्का सा पीलिया होने पर समर्थ को 13 जुलाई 2024 को श्रीमाली अस्पताल ले गया। जहां डॉक्टर अभिषेक श्रीमाली ने कहा कि पीलिया तो नॉर्मल है लेकिन फिर भी उसे भर्ती करना पड़ेगा। दो-तीन दिन के लिए भर्ती कर दो, पीलिया ठीक हो जाएगा। डॉक्टर के कहने पर हमने बेटे को भर्ती कर दिया।
एक-दो दिन भर्ती रहने के बाद उसकी हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ने लगी। हमने डॉक्टर से कहा कि समर्थ को डिस्चार्ज कर दो। उसकी हालत में सुधार नहीं है, हम और कहीं जाकर दिखा लेंगे। लेकिन डॉक्टर अभिषेक कहता रहा कि एक-दो दिन और रुक जाओ, आपके बच्चे को तंदुरूस्त करके देंगे। इस तरह डॉक्टर ने 10 दिन निकाल दिए। बच्चे की हालत देखकर हम लोग घबरा गए। फिर डॉक्टर ने उसे डिस्चार्ज कर दिया।
24 जुलाई को गंभीर हालत में समर्थ को लेकर हम लोग इंदौर गए। जहां एक प्राइवेट अस्पताल में उसे दिखाया। वहां डॉक्टर ने चैकअप किया और भर्ती करने से मना कर दिया। डॉक्टर ने कहा कि बच्चे की हालत बहुत ही क्रिटिकल है। आपको यहां लाने में देरी हो गई है। थोड़ी देर बाद समर्थ ने दम तोड़ दिया।
मेरा इकलौता बेटा था, कहां जाऊ, कैसे जीऊं
सुधीर कहते है कि समर्थ मेरा इकलौता बेटा था। उसे मात्र हल्का सा बुखार था। डॉक्टर ने हल्का पीलिया बताकर एडमिट कर लिया। डॉक्टर ने जब-जब पैसे मांगे हम उसकी जेब भरते रहे। लेकिन वो था कि इलाज करना तो दूर सिर्फ पैसे का भूखा था। उसने मेरे बेटे को मार दिया। अब मैं कहां जाऊं, किसके लिए जीऊं। मैं यही कहता हूं कि कोई मेरी दो मिनट के लिए खड़े होकर देखिए। मेरे ऊपर क्या बीत रही है। कम से कम मेरी भावना का कद्र कीजिए।
डॉक्टर कहता था- पुलिस से निपटना मेरा रोज का खेल है
समर्थ के पिता सुधीर कहते है कि वो दूध डेयरी चलाते हैं। गरीब परिवार से है। बेटे की मौत के बाद डॉक्टर की शिकायत पुलिस से की। इस पर डॉक्टर कहने लगा कि पुलिस और प्रशासन से निपटना तो मेरा रोज का खेल है। मैंने उसी दिन ठान लिया कि डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर करवाकर रहूंगा। किसी की जान लेने को वह खेल कहता है। 3 महीने तक पुलिस और जांच टीम के आगे-पीछे घूमा। एक-एक दस्तावेज, जांच रिपोर्ट लेकर उनके पास गया। तब जाकर पुलिस ने एफआईआर की।
केस में दो साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान
कोतवाली टीआई अशोक सिंह चौहान का कहना है कि बालक के पिता ने डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप लगाए थे। जिस पर पुलिस द्वारा जांच की जा रही थी। जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए है, उसी के आधार पर डॉक्टर अभिषेक श्रीमाली को आरोपी बनाया गया है। इधर, भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 के मुताबिक, अगर कोई डॉक्टर इलाज में लापरवाही करता है और किसी की मौत हो जाती है, तो उसे दो साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।