Karnataka हाईकोर्ट में हिजाब विवाद पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने कहा- सिर्फ संविधान के आधार पर होगा फैसला
Karnatka High Court on Hijab issue : कर्नाटक में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब को लेकर कई दिनों सेचले आ रहे विवाद के बीच इस मामले पर आज हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। दरअसल कुछ दिन पहले ही कर्नाटक सरकार ने Karnataka Education Act-1983 की धारा 133 लागू की है, जिसके तहत अब सभी स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है। सरकारी स्कूल और कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनी जाएगी, जबकि प्राइवेट स्कूलों को अपनी एक यूनिफॉर्म चुनने का अधिकार है। लेकिन सभी को तय यूनिफॉर्म में ही आना है। सरकार के इस फैसले के बाद से बवाल और ज्यादा बढ़ गया है। एक तरफ मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई छात्र भगवा स्कॉफ पहन भी अपना विरोध जता रहे हैं।
हाई कोर्ट में जज कृष्णा दीक्षित ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के बढ़ते ही हाईकोर्ट ने साफ कर दिया वे भावना से नहीं, सिर्फ और सिर्फ कानून के हिसाब से चलेंगे। कोर्ट ने बकायदा कुरान की एक कॉपी मंगवाई और उस आधार पर आगे की सुनवाई को शुरू किया गया। कोर्ट ने पूछा कि क्या कुरान में ये लिखा है कि हिजाब जरूरी है?
हिजाब के पक्ष में दलील
- याचिकाकर्ता की तरफ से लड़ रहे एडवोकेट देवदत्त कामत ने कहा कि कुरान की आयत 24.31 और 24.33 ‘हेड स्कॉफ’ की बात करते हैं। वहां पर बताया गया है कि ये कितना जरूरी है।
- उन्होंने ‘हदीथ’ का हवाला देते हुए कहा कि चेहरे को ना ढकना, लंबी ड्रेस ना पहना सजा का पात्र है।
- उन्होंने केरल हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सिर को ना ढकना ‘हराम’ माना गया है। लंबी स्लीव वाली ड्रेस ना पहनना भी इसी श्रेणी में रखा गया है।
- उन्होंने ये दलील भी दी कि बोलने का जो अधिकार दिया गया है, उसी के अंतर्गत ‘राइट टू वीयर’ भी आता है।
- साथ ही ये निजता के अधिकार का भी हनन है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि ‘राइट टू वीयर’ भी निजता के अधिकार के अंदर ही आता है।
क्या है पूरा मामला?
ये सारा विवाद पिछले महीने जनवरी में तब शुरू हुआ था, जब उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में छह छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश करने की कोशिश की लेकिन उन्हें एंट्री नहीं दी गई। विवाद इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था, लेकिन वे फिर भी पहनकर आ गई थीं। विवाद बढ़ते कॉलेज को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया। उस विवाद के बाद से दूसरे कॉलेजों में भी हिजाब को लेकर बवाल शुरू हो गया और कई जगहों पर पढ़ाई भी प्रभावित हुई।
इसके बाद कई छात्रों ने कॉलेज में हिजाब पहनकर जाने की अनुमति की मांग को लेकर याचिका दायर की। इसमें कुंदापुर, मैंगलोर समेत कई कॉलेजों की छात्रा शामिल हैं। छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन ने विधायक के कहने पर ‘हिजाब’ के साथ कैंपस में उनकी एंट्री पर रोक लगा दी है। इन्होंने अपनी याचिका में कहा कि जब उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया तब हिजाब को लेकर कोई विवाद नहीं था। लेकिन प्रिंसिपल ने तीन फरवरी को अचानक हिजाब पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि सरकार ने कक्षा के भीतर हिजाब पहनने पर रोक लगाई है।