Katni News : निर्माण एजेंसी को बचाने में जुटे प्राधिकरण के अधिकारी, 20 दिन बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं
नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा नर्मदा नहर के टनल निर्माण के दौरान 12 फरवरी को हुए हादसे की जिम्मेदारी तय नहीं हुई है। प्राधिकरण के अधिकारी कहीं से कहीं तक पटेल मेसर्स की जिम्मेदारी मानने से बच रहे हैं। हादसे के 20 दिन होने के बाद भी कंपनी पर कोई कार्रवाई की दिशा तय नहीं हो सकी। नर्मदा विकास प्राधिकरण के अधिकारी मामले की जांच के बहाने लीपापोती करने में लगे हुए हैं। अधिकारियों की बातों का यही आशय समझ आता है कि प्राधिकारण के अधिकारी सीधे तौर पर कंपनी को बचाना चाहते हैं।
बता दें कि गुरुवार को स्लीमनाबाद टनल हादसे में भोपाल से पहुंची टीम द्वारा बयान लिए गए हैं। अधिकारी मामले में कुछ भी नहीं बोलने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि जिम्मेदारी तय की जा रही है। वहीं पटेल मेसर्स पर क्या कार्रवाई की जा रही है यह बताने के लिए कोई अधिकारी तैयार नहीं है। मामले में दो मजदूरों की मौत के तकरीबन बीस दिन पूरे हो गए। लेकिन अभी तक निर्माण एजेंसी पर कार्रवाई होगी यह अधिकारी तय नहीं कर पाए।
नर्मदा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा है कि इंजीनियरों की तरफ से काम 12 फरवरी की दोपहर में ही बंद करवा दिया गया था। ठेकेदार अपने स्तर पर काम कर रहा था। स्लीमनाबाद में नर्मदा नहर पर निर्माणाधीन टनल के डीबीएम कटर रिपेयरिंग के गड्ढे में दो मजदूरों की मौत की घटना के बाद नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के इंजीनियर इन चीफ इंजीनियर राजीव सुकलीकर अपनी टीम के साथ घटना स्थल पहुंचे। उनके साथ विभाग के अधिकारी कर्मचारी और निर्माण कंपनी का तकनीकी अमला मौजूद रहा। जांच अधिकारी अप स्टीम सलैया फाटक पहुंचे और उन्होंने यहां से जानकारी एकत्रित की।
ये था मामला : यह हादसा 12 फरवरी को स्लीमनाबाद में टनल बोरिंग मशीन के रिपेयरिंग गड्ढे में हुआ था। शाम करीब साढ़े सात बजे सभी मजदूर गड्ढे के अंदर और बाहर काम कर रहे थे कि अचानक से गड्ढे की मिट्टी चारों तरफ से धंसकने लगी। इसमें गड्ढे के अंदर 9 मजदूर समा गए थे। तीन मजदूर तो आधे से एक घंटे के अंतराल में बाहर आ गए लेकिन मिट्टी के मलबे के नीचे दबे 6 मजदूरों को निकालने के लिए 28 घंटे का रेस्क्यू एसडीआरएफ और एनडीआरएफ टीम ने चलाया था। इसमें 4 मजदूर जो सिंगरौली के थे उन्हें तो रेस्क्यू टीम ने बचा लिया था। बाकी दो श्रमिकों को जब तक निकाला जाता उनकी मौत हो चुकी थी। घटना के बाद जांच की मांग लोगों के द्वारा की गई थी। अन्य तकनीकी पहलुओं पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अधिकारी और ठेका कंपनी के अधिकारी-कर्मचारी घिरते हुए नजर आए।
मजदूरों की मौत के मामले में हादसे के 20 दिन बाद भी किसी पर जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी है। मजदूर सरकारी अस्पताल में अव्यवस्थाओं को शिकार हो गए। मामले में निर्माण एजेंसी मेसर्स पटेल – एसईडब्ल्यू (संयुक्त उपक्रम) हैदराबाद पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई।
यह है परियोजना : बरगी व्यपवर्तन परियोजना की 11.95 किलोमीटर लंबी स्लीमनाबाद टनल के लिए अनुबंध मार्च 2008 में हुआ था। इसे 40 माह की अवधि में जुलाई 2011 तक पूर्ण किए जाना था परंतु चार बार समय अवधि बढ़ाने के बावजूद भी आज दिनांक तक कार्य पूरा नहीं हुआ है। इतनी देरी हुई की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। तब जाकर नहर का काम आगे बढ़ सका।
कार्यपालन यंत्री नर्मदा घाटी विकास टनल खिरहनी से मिली जानकारी के अनुसार टीवीएम के कटर बदलने की जल्दबाजी में यह हादसा हो गया। यदि टनल के अंदर से घुसकर यह कटर बदले जाते तो करीब 80 फीट में दबी मशीन में इस कार्य में डेढ़ से दो महीने का समय लगता। इसलिए यह योजना बनाई गई कि 15 बाइ 8 मीटर गड्ढा किया जाए और इसमें घुसकर मशीन के के कटर तक पहुंचा जाए और कटर बदल दिए जाएं ताकि कार्य समय पर किया जा सके। इसके लिए स्लीमनाबाद में खेरमाई के समीप कुआंनुमा गड्ढा खुदाई काम चल रहा था। अब इंजीनियर कह रहे हैं हादसे की आशंका को देखते हुए 12 फरवरी की दोपहर में काम बंद करवा दिया गया था। ठेकेदार द्वारा अपने स्तर पर काम किया जा रहा था।
जून 2023 तक पूरा होना है प्रोजेक्ट : सलैया फाटक खिरहनी 11.95 तक बनाई जा रही जमीन के अंदर टनल बनाई जा रही है। जून 2023 तक टनल निर्माण पूरा करने प्रक्रिया शुरू करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है। बरगी व्यपवर्तन परियोजना की स्लीमनाबाद टनल की लागत 799 करोड़ रुपये तथा लंबाई 11.95 किलोमीटर है। टनल निर्माण का कार्य शीघ्र स्लीमनाबाद टनल का कार्य तेजी से कराया जाए। यह निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए थे। उन्होंने संबंधितों को नियम समय सीमा जून 2023 तक टनल का कार्य पूर्ण कराए जाने के लिए निर्देशित किया है। टनल से जबलपुर जिले के 60 हजार कटनी जिले की 21 हजार 823 तथा सतना जिले के 1 लाख 59 हजार 655 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिलेगी। निर्माण एजेंसी मैसर्स पटेल – एसईडब्ल्यू (संयुक्त उपक्रम) हैदराबाद है।
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खतरे को देखते हुए इंजीनियरों की तरफ से काम 12 फरवरी की दोपहर में ही बंद करवा दिया गया था। ठेकेदार अपने स्तर पर काम कर रहा था और हादसा हो गया।
– राममणि शर्मा, एसई, नर्मदा विकास प्राधिकरण